नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि जजों की नियुक्ति में पसंद-नापसंद की नीति ठीक नहीं है। ये अच्छे संकेत नहीं हैं। यह देश में गलत संदेश देता है। जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बैंच ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जजों की नियुक्ति और तबादले भी सरकार अपनी पसंद-नापसंद के मुताबिक कर रही है। हमने इसके लिए सरकार को पहले भी आगाह किया है। अब भी इलाहाबाद, दिल्ली, पंजाब और गुजरात हाई कोर्ट में जजों के तबादले की सिफारिश वाली फाइल सरकार ने लटका रखी है।
गुजरात हाई कोर्ट में तो चार जजों के तबादले पेंडिंग हैं। इन पर सरकार ने अब तक कुछ भी नहीं किया। बैंच ने कहा कि दोबारा भेजे गए गए नामों पर नियुक्ति नहीं करना परेशान करने वाला है। कॉलेजियम की सिफारिशों पर अमल करने के लिए और वक्त देते हुए बैंच ने कहा कि केंद्र इसका समाधान लेकर आए। पांच दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। बंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से जजों की नियुक्ति को लेकर यह याचिका लगाई गई है।