नई दिल्ली। स्किल डिवेलपमेंट घोटाले के मामले में आरोपी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जजों में मतभेद हो गया। इसके बाद मामले को सीजेआई के पास भेज दिया गया है। 371 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में नायडू ने एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। इसी मामले में चंद्रबाबू नायडू 53 दिन की जेल भी काट चुके हैं। हालांकि इस समय वह जमानत पर बाहर हैं। याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस एम त्रिवेदी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि पीसी ऐक्ट (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के सेक्शन 17 ए को लेकर दोनों के अलग-अलग मत हैं। ऐसे में सीजेआई ही आगे की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच का गठन करेंगे। जस्टिस बोस ने कहा कि राज्य की पुलिस सेक्शन 17 ए के तहत मंजूरी नहीं ले पाई थी, इसलिए एफआईआर दर्ज करना ही गलत था।
उन्होंने यह भी कहा कि अब भी राज्य सरकार से इसकी अनुमति ली जा सकती है। जस्टिस बोस ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने नायडू को पुलिस हिरासत में भेजा था, इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। दूसरे जज जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि इस अधिनियम के तहत दारा 17ए को साल 2018 में लाया गया था। इसलिए यह इस मामले में लागू नहीं होता है। नायडू पर ये आरोप 2016 में ही लगे थे, जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे। धारा 17 ए पर मतभेद के चलते ही जस्टिस बोस ने मामले को सीजेआई के पास भेज दिया। बता दें कि नायडू को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में जमानत दी थी। इसके अलावा नायडू पर फाइबर नेट घोटाले के मामले में भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा दे दी थी।