उत्तर प्रदेशताजा खबरभारत

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला, सुविधा शुल्क का बनाते हैं माहौल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए नित नई कोशिशें की जा रही हैं लेकिन कुछ सरकारी कर्मचारियों की वजह से भ्रष्टाचार रक्तबीज का रूप लेकर आम जनमानस को परेशान करने का काम कर रहें हैं। ऐसे कर्मचारी व अधिकारी किसी भी आवेदक के सरकारी काम का निपटारा करने में इतनी अड़चनें पैदा करते हैं कि जिससे सुविधा शुल्क मिलने का माहौल बन जाए और आवेदक परेशान होकर अपने काम के जल्द निपटारे के लिए स्वयं उन्हें सुविधा शुल्क देने को मजबूर हो जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रदेश को बड़े-बड़े माफियाओं एवं अपराधियों से तो भयमुक्त कर दिया लेकिन भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से यूपी को मुक्त कराने में अभी पूर्ण रूप से कामयाब नहीं हो सके हैं। भ्रष्टाचार से लिपटा ऐसा ही एक मामला लखनऊ के इन्दिरा नगर स्थित ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का है जहाँ सरकारी कर्मचारियों की आपसी मिलीभगत से प्रमाण-पत्र देने के लिए विभिन्न प्रकार की अड़चनों को उत्पन्न किया जाता है और प्रमाण-पत्र के एवज में सुविधा शुल्क का माहौल तैयार किया जाता है।
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के इस भ्रष्टाचार के भुक्तभोगी पीड़ित के अनुसार उन्होंने अपने भवन के एनबीसी यानी नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रमाण-पत्र के लिए गत 3 माह पूर्व आवेदन किया था। जिसके लिए विभाग के बाबू ने जेई द्वारा विभिन्न कोणों से भवन निरीक्षण कर उनकी तस्वीरें के मिल जाने के पश्चात् आगे की कार्रवाई की बात कही। तस्वीरों के लिए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के जेई कई दिनों बाद पहुँचें और तस्वीरें भी ले ली लेकिन बेचारे भवन समेत अपनी तस्वीर लेना ही भूल गए और विभाग के बाबू ने इस पर आपत्ति जताते हुए इस तस्वीर को अति आवश्यक बताया और कहा कि ये तस्वीर साबित करती है कि भवन का निरीक्षण किस कर्मचारी अथवा अधिकारी ने किया। बची हुई तस्वीर को वजह बताते हुए बाबू ने आवेदक का काम फिर से टाल दिया और कहा कि अब जेई जब तस्वीर लाऐंगे तभी काम आगे बढ़ पाएगा। आवेदक द्वारा जेई के भवन पर आकर तस्वीर लेने की कोई निर्धारित तिथि पूछने पर बाबू और जेई ने गोलमोल बातें कर कहा ‘‘आ जाऐंगे’’। कुछ दिन बीत जाने के बाद फिर से जब आवेदक विभाग के बाबू से मिले और तस्वीर लेने के लिए जेई को भेजने की बात की तो बाबू ने अपने छुट्टी पर जाने की बात कही और यह पूछने पर की उनके स्थान पर कोई अन्य जेई तस्वीर नही ले सकते? तो बाबू ने जवाब दिया कि वही जेई करेंगे। लेकिन जेई तो मानो आवेदक के साथ लुका छुपी का खेल रहे हैं, वे आवेदक के न फोन रिसीव कर रहे हैं न उनका जवाब दे रहे हैं।
इस विषय की जानकारी जब आवेदक द्वारा मुख्य अभियंता के पीआरओ को दी गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नही आता है। इसके बाद आवेदक ने मुख्य अभियंता से गुहार लगाने के लिए उन्हें फोन पर सम्पर्क करना चाहा लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
अब सवाल ये उठता है कि यदि विभाग का कोई कर्मचारी या अधिकारी छुट्टी पर है तो क्या विभागीय कार्य बाधित ही रहेगा ? क्या उनके स्थान अन्य किसी कर्मचारी या अधिकारी को कार्य नहीं सौंपा जाना चाहिए ?
भ्रष्टाचार के ऐसे सैंकड़ों मामले लगभग हर विभाग में पनप रहे हैं जिसकी वजह से लोग परेशान होते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई सुविधा शुल्क के नाम पर इन भ्रष्ट कर्मचारियों व अधिकारियों का कभी न भरने वाला पेट भरते हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस तरह के अप्रत्यक्ष अपराधियों को भी ठिकाने लगाने का काम करने के साथ ही इन सबकी सम्पत्तियों की जाँच प्रमुखता से करानी चाहिए, मुमकिन है कि ऐसी ही काली कमाई से कोई बाबू या अभियंता धन कुबेर बन बैठा हो जो अब तक सरकार की नजर से बचता रहा है। ये ऐसे लोग हैं जो आम जनता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं और उनके पैसों को शालीनता से लूटते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *