मॉस्का। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन विकसित कर ली है। अगले साल की शुरुआत में यह वैक्सीन रूसी नागरिकों को मुफ्त में लगाई जाएगी। बताया जाता है कि यह वैक्सीन कैंसर मरीजों को नहीं लगाई जाएगी, बल्कि लोगों को कैंसर से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के महानिदेशक आंद्रेई काप्रिन ने इस बात की जानकारी दी। डायरेक्टर आंद्रेई ने बताया कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी एमआरएनए वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है। गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग के मुताबिक वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। इस दौरान पता चला है कि यह वैक्सीन ट्यूमर के विकास और संभावित मेटास्टेसिस को दबा देता है। इससे पहले, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि रूसी वैज्ञानिक कैंसर के लिए टीके बनाने के करीब हैं। उन्होंने कहा था कि यह वैक्सीन जल्द ही रोगियों के लिए उपलब्ध हो सकती है।
क्या होती है एम-आरएनए वैक्सीन
एम-आरएनए या मैसेंजर-आरएनए इनसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो एम-आरएनए टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लडऩे के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वह मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। एमआरएनए टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की पहली वैक्सीन है।