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भारत का एक्शन नपा-तुला और गैर उकसावे वाला, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बोले विदेश सचिव

नई दिल्ली। भारत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के गुनहगारों को निशाना बनाकर बीती रात सीमापार किए गए हमले की कार्रवाई नपी तुली, गैर उकसावे वाली एवं जिम्मेदाराना थी जिसका उद्देश्य आतंकवादी ढांचे को नेस्तनाबूद करना और आतंकवादियों को आगे किसी भी ऐसी हरकत के लिए अक्षम बनाना था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी एवं विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने आज यहां राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में देश को पांच एवं छह मई की दरमियानी रात को एक बज कर पांच मिनट से डेढ़ बजे तक चले ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी और इस बात पर भी जोर दिया कि यह कार्रवाई 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहलगाम हमले के बाबत जारी बयान की भावना के अनुरूप है।

विदेश सचिव ने पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी दी और कहा, “22 अप्रैल 2025 को लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित पाकिस्तानी और पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला किया और 25 भारतीय नागरिकों और 1 नेपाली नागरिक की हत्या कर दी…उन्होंने लोगों को उनके परिवार के सदस्यों के सामने सिर में गोली मारी। परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया और उन्हें नसीहत दी गई कि वो वापस जाकर इस संदेश को पहुंचा दें। यह हमला स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया था।”

 

 

विक्रम मिस्री ने कहा, “पाकिस्तान आधारित आतंकवादी मॉड्यूल पर हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया है कि भारत पर आगे भी हमले हो सकते हैं, अत: इन्हें रोकना और इसने निपटना दोनों को बेहद आवश्यक समझा गया। आज सुबह भारत ने इस तरह के सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने तथा उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है।” विदेश सचिव ने कहा कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ (दि रज़िस्टेंस फ्रंट) के संदर्भ को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पहलगाम आतंकी हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं। भारत की कार्रवाई इसी प्रेस वक्तव्य की भावना के अनुरूप है।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा, “22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए मासूम नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया गया। इस कार्रवाई में 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और पूरी तरह से इसे बर्बाद कर दिया गया।”

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