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मातृ दिवस पर विशेष : जीवन में मां का महत्व

–   प्रस्तुति -विवेक कुमार

र वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मां महज एक शब्द यह रिश्ता नहीं, बल्कि पूरी दुनिया है। मां की ममता उसकी एक शक्ति है जिसमें सर्व जगत का स्वरूप झलकता है मां एक ब्रह्म है, जो गर्भाशय में बच्चे के शरीर की रचना करती है मां एक मनोवैज्ञानिक है, जो उसके अंतर्मन के निकट रहकर उसको अनुकूल सुख पहुंचाती है वह एक आध्यात्मिक गुरु भी है जो उसके उज्जवल भविष्य के लिए सदैव चिंतनशील रहती है।

इस मौके पर विवेक कुमार ने कुछ विशिष्ट महिलाओं से जाना मातृत्व के महत्व और उसके एहसास को।

पेश है उन्हीं की जुबानी-

1. मुंबई की लोकप्रिय युवा गायिका निकिता राय कहती हैं कि मां सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि अपने आप में एक अटूट प्यार का एहसास है। निशब्द हूं की मां जैसा शब्द जो कि सुनने में इतना छोटा सुनाई पड़ता है उसकी व्याख्या करने में मैं असमर्थ हो रही हूं एक ऐसा शब्द जो कि मेरे लिए अनंत से भी आगे है मुझे आज भी याद है मेरी मां पल्लू की छोर में रुपए बांध के रखती थी इस तरह मेरे बचपन में मेरे पास एक मेरा मिनी एटीएम हुआ करता था उस दौर से इस दौर तक का सफर तय किया सब कुछ बदल गया लेकिन मां वहीं की वही है मां को कुछ शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है। हर व्यक्ति के लिए मां की अपनी एक विशेष परिभाषा होती है। मां की गोद दुनिया में सबसे अधिक सुकून भरी जगह होती है और बचपन से ही मैंने इस बात को महसूस किया है। मां निस्वार्थता, समर्पण और प्रेम का आदर्श उदाहरण है। मेरी मां ने कभी मुझे बिठाकर कुछ सिखाया नहीं लेकिन उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि अनजाने में ही मैं इतना कुछ सीख गई हूं कि जीवन में मैं एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश में सफल पा रही हूं। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूं कि ईश्वर ने मां का साया मेरे ऊपर बनाए रखा है। आपका मेरे जीवन में होने से बड़ी उपलब्धि मेरे लिए कुछ भी नहीं है। अपनी इस छोटी सी जिंदगी में अगर आप जैसी थोड़ी सी भी बन पाई तो समझूंगी कि मेरा जीवन सफल है। निःस्वार्थता, त्याग और समर्पण की देवी स्वरूप दुनिया की सारी माताओं को मैं नमन करती हूऺ।

2. लखनऊ में प्राइवेट सेक्टर की एक बड़ी कंपनी में एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत मानसी श्रीवास्तव से जीवन में मां के महत्व के विषय में चर्चा करने पर उन्होंने बताया की मां एक ऐसा शब्द, जो जुबान से निकलते ही हृदय तक पहुंच जाता है। मां सिर्फ जन्म देने वाली नहीं होती है, वह हर महिला जो हमें गढती हैं, संवारती है और बिना शर्त प्रेम करती है, अगर वास्तविक मां नहीं है तो मां के समान हो ही सकती है। जिसने जन्म न भी दिया हो , पर जिसने हमें सही शिक्षा दी हो एवं जीवन की मूल्य सिखाये हो वह मां का स्थान ले सकती है। आज के समाज में, जहां रिश्तों की परिभाषाएं बदल रही हैं, मां का स्वरूप भी अत्यंत व्यापक हो गया है। शिक्षिका, दादी, बुआ, मौसी यहां तक की पिता भी कई बार मां की भूमिका निभाते हैं संवेदना,संरक्षण और मार्गदर्शन करने वाला हर व्यक्तित्व हमारी मां के समान महत्वपूर्ण हो सकता है। वह हर व्यक्ति जो किसी बच्चे के लिए ढाल बनता है, हर वह दिल जिसमें ममता बसती है, वह हमारे लिए मां के समान है। हमें इस सोच से बाहर आना होगा की मां सिर्फ खून के रिश्ते से जुड़ी होती है। मातृत्व वास्तव में एक भावना है-जो कोख में आते ही दिल से भी उपजने लगती है। हमें चाहिए कि हम मां को समुचित सम्मान दें, जो हमारे जीवन को संवारने में, संभालने में, अपने सपनों को पीछे छोड़कर हमारे ख्वाबों को पूरा करने में लगी रहती है।

3. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बाराबंकी की संगीत टीचर विजया राय बतातीं है कि

मां की एक दुआ जिंदगी बना देगी 

खुद रोएगी मगर तुम्हें हंसा देगी 

कभी भूलकर भी मन को न रुलाना 

एक छोटी सी गलती पूरा अर्थ हिला देगी। 

मां के ऊपर कोई कितना भी लिखें वह हमेशा कम ही होगा। मां की ममता को इस मदर्स डे पर मैं दुनिया की सभी माता को समर्पित करना चाहूंगी। एक मां बच्चे की पहली पाठशाला होती है और सबसे अच्छी दोस्त भी। क्योंकि वह अपने बच्चों की समस्त आवश्यकताओं का ध्यान रखती है। प्रत्येक मां को आदर व सम्मान देने के लिए वर्ष में एक दिन मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक मां कई रूपों में अपने बच्चे के जीवन को संभालती है। कभी शिक्षक कभी मित्र के रूप में वह सारे दायित्वों का वहन करती है। बच्चों की खुशी में ही उसकी खुशी और बच्चे के दुख में ही उसका दुख शामिल होता है। इसके लिए बच्चों का भी दायित्व बनता है कि वह अपनी मां का सम्मान करें उसका खास ख्याल रखें इसके लिए किसी एक दिन की आवश्यकता नहीं हर दिन मां का होता है लेकिन फिर भी इसके लिए मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है ताकि उस दिन हम अपनी मां को विशेष महसूस करा सके।

4. मशहूर मॉडल एवं अदाकारा निशि रस्तोगी का कहना है कि मातृ दिवस मातृत्व का उत्सव है हर मां अपनी संतान के लिए आदर्श होती है वह उसकी भलाई के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देती है उसका स्वार्थ सीमित न होकर व्यापक होता है। अगर हमें एक आदर्श समाज का निर्माण करना है तो हम मां के माध्यम से बच्चों को बचपन में ही उचित शिक्षा देकर उन्हें एक बेहतरीन इंसान बना सकते हैं और एक आदर्श समाज की रचना कर सकते हैं।

5. अहमदाबाद में एक सरकारी बैंक में अधिकारी कल्पना ठाकुर से जब जीवन में मां के महत्व के विषय पर चर्चा की गई तो वह भावुक हो गई क्योंकि उनकी मां का कुछ वर्ष पूर्व स्वर्गवास हुआ है एवं वह मां के साथ जीवन एवं मां के बिना जीवन को निरंतर महसूस कर रही हैं। मां के महत्व के संबंध में उन्होंने बताया की मां एक शब्द मात्र नहीं है बल्कि यही वह मां है जिसका इस संपूर्ण विश्व की उत्पत्ति और संवर्धन में सबसे अधिक योगदान है। अगर मां नहीं होती तो हम इस संसार में जन्म ही नहीं ले सकते थे। इसलिए यह एक शाश्वत सत्य है की मां की जगह कोई और नहीं ले सकता। भगवान को हम देख नहीं सकते हैं इसलिए भगवान ने मां को बनाया है जिसे हम देख सकते हैं और मां भगवान की तरह ही हमारा लालन पोषण करती है हमारे जीवन में मां का असाधारण महत्व है। अगर हम मां के द्वारा सिखाए हुए रास्तों पर चलते हैं तो जीवन में हम कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं मां के आशीर्वाद में बहुत ताकत होती है यह कहा जा सकता है की पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती।

6. विभूति खंड, गोमती नगर की शिवानी बताती हैं कि दुनिया की हर लड़की एक उम्र के बाद अपनी मां की तरह हो जाती है। बचपन में जिन आदतों पर वह मां से चिढ़ती थी वही बातें वह खुद करने लगती है यही जीवन का चक्र है। हर औरत में उसकी मां की झलक मिलती है जब हम अपनी मां जैसे बनते हैं, तब हम सिर्फ अपनी पहचान को नहीं बल्कि इस दुनिया की सुंदरता और संवेदनशीलता को भी आगे बढ़ाते हैं मैं मानती हूं कि हर लड़की को अपनी मां की तरह ही बनना चाहिए यही सृष्टि के संतुलन और प्रेम को बनाए रखने का सबसे सुंदर तरीका है।

7. लाला गणेश प्रसाद गर्ल्स इंटर कॉलेज की संगीत टीचर रंजना घोष बताती हैं कि मां केवल एक शब्द नहीं बल्कि एहसास और अटूट प्रेम का प्रतीक है मां के बिना जीवन अधूरा और बेजान सा लगता है मेरा मानना है कि भगवान ने इस धरती पर मां के रूप में सबसे बेहतरीन रचना की है कितने भी हम बड़े हो जाएं मां के लिए हम हमेशा बच्चे ही रहते हैं मां की जगह इस संसार में कोई नहीं ले सकता है।

      मन तो जन्नत का फूल है 

      प्यार करना उसका उसूल है 

      दुनिया की मोहब्बत फिजूल है 

      मां की हर दुआ कबूल है 

     इंसान मां को नाराज करना तेरी 

    भूल है। मन तो जन्नत का फूल है। 

8. शहर की जानी-मानी मास्टरशेफ नंदिनी दिवाकर कहती है कि हर दिन मां का ही दिन है मां के बिना परिवार की कल्पना ही नहीं की जा सकती। मां के होते ही घर में दिन शुरू हो जाता है और मां के सो जाने से पहले रात नहीं होती। यही क्रम चलता रहता है मेरे घर में। मेरी मां एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली एक अनपढ़ महिला है उन्होंने मुझे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पाठ सीखाये हैं यह उन्हीं की मेहनत और लगन का परिणाम है कि एक बहुत सी साधारण परिवार से होने के बावजूद भी आज मैं उस मुकाम पर हूं जहां ना कि मेरा शहर बल्कि देश और दुनिया के कई लोग मुझे जानते पहचानते हैं और मेरे कार्यों की सराहना करते हैं मां की तारीफ में जो भी कहूं वह काम ही है क्योंकि शब्दों में मन को बयां नहीं किया जा सकता फिर भी अंत में यही कहना चाहूंगी कि दुनिया में हर चीज के लिए कोई ना कोई दिन मुकर्रर है उसी क्रम में मातृ दिवस भी है लेकिन आप जरा सोच कर देखिए मां जो अपने आप पूरी दुनिया है एक शब्द जिसमें संपूर्ण जगत समाया हुआ है लेकिन उसके लिए कोई दिन निर्धारित नहीं किया जा सकता।

9. गोमती नगर की रहने वाली शगुफ्ता का कहना है कि मां है तो जीवन है मां हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह होती है क्योंकि वह हमे सभी परेशानियों से बचाती है जिस तरह माली एक पौधे को उचित मात्रा में पानी, खाद, धूप और अपना स्नेह देखकर सींचता है उसी तरह मां अपने बच्चों को अपना अमृत समान दूध पिलाकर उनका हाथ पकड़ कर चलना सिखाती है, बोलना सिखाती है उन्हें अच्छे संस्कार देकर सम्मान के साथ समाज में जीना सिखाती है।

10. समाज सेविका हेमा डोबरियाल का मानना है कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो बच्चा इस दुनिया में जो कुछ महसूस करता या देखता है वह कोई और नहीं उस बच्चे की मां होती है। इसलिए बच्चे के लिए मां का क्या महत्व है यह शब्दों में बयां करना मुश्किल होगा। मां शब्द दुनिया का सबसे छोटा है, परंतु बच्चे का पूरा संसार मां ही होती है बच्चा अपनी मां की गोद में अपने आप को सबसे ज्यादा महफूज समझता है। कभी कोई गलती हो जाए तो मां के आंचल में छिप जाता है। क्योंकि बच्चे को पता होता है कि इस दुनिया में यदि कोई एक व्यक्ति है यह बिना निःस्वार्थ मुझे प्रेम करता है और मेरा बुरा होते नहीं देख सकता है तो वह इंसान होता है उसकी मां।

 

 

 

 

 

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