
नई दिल्ली। भारतीय सेना को आखिरकार 15 महीने से ज्यादा की देरी के बाद अपाचे एएच-64ई अटैक हेलिकॉप्टर का पहला बैच मिलने की उम्मीद है। यह ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर वेस्टर्न बॉर्डर पर अपनी लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। डिलीवरी प्रोग्राम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक, पहले तीन हेलिकॉप्टर 22 जुलाई को भारतीय सेना की एविएशन कोर को सौंपे जाने की संभावना है।
बिना चॉपर्स का अपाचे स्क्वाड्रन
आर्मी एविएशन कोर ने मार्च 2024 में जोधपुर के नागतलाव में अपना पहला अपाचे स्क्वाड्रन स्थापित किया था। पायलट और ग्राउंड स्टाफ को फ्लाइट ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया, लेकिन स्क्वाड्रन अपने गठन के बाद से हमलावर हेलिकॉप्टरों के बिना ही रहा है। इस लंबे इंतजार के कारण वेस्टर्न फ्रंट पर बढ़ते खतरे की आशंका के बावजूद सेना की परिचालन तत्परता में अहम अंतर आ गया है। अपाचे एएच-64ई हेलिकॉप्टर अपनी मजबूत फायर पावर, नाइट विजन, थर्मल सेंसर और एडवांस टारगेटिंग सिस्टम के लिए जाने जाते हैं और इन्हें आर्मी आर्सेनल में एक महत्त्वपूर्ण बढ़ोतरी के तौर पर देखा जाता है, जबकि भारतीय वायु सेना ने 2015 के एक अलग समझौते के तहत 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों को पहले ही शामिल कर लिया है।
ये खासियतें
एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस घातक हेलिकॉप्टर
60 सेकंड में 128 गतिशील लक्ष्यों को निशाना बनाकर नष्ट करने में माहिर
625 राउंड प्रति मिनट की दर से गोलीबारी करने में सक्षम
एजीएम 114 हेलफायर मिसाइल सिस्टम से लैस, जो कि बख्तरबंद वाहनों, टैंक रोधी और लेजर-गाइडेड मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम
स्ट्रिंग मिसाइल हवा से हवा में लक्ष्य को करेंगी नष्ट