
बीरगंज। नेपाल में “जेनरेशन जेड” आंदोलन ने 24 घंटे में नया इतिहास बनाया है। नेपाल के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी आंदोलन ने इतने कम समय में पूरी व्यवस्था बदल दी हो। यह ऐसा बदलाव है जो केवल इतिहास ही नहीं वर्तमान और भविष्य को भी प्रभावित करेगा। हिंसा, आगजनी और मौत के कोहराम के बीच सेना प्रमुख ने आंदोलनकारियों से शांति की अपील की है। फिर भी बीरगंज सहित के नेपाली शहरों में आंदोलन की आग अब भी धधक रही है। जेल ब्रेक, आगजनी और कर्फ्यू ने आम जनजीवन पर व्यापक प्रभाव डाला है। भारत और नेपाल, दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों ने सामान्य आवाजाही को प्रतिबंधित कर रखा है।
“जेनरेशन जेड” आंदोलन आज तीसरे दिन भी जारी है। काठमांडू में शांति लौट रही है, लेकिन बीरगंज सहित तमाम नेपाली शहरों में आंदोलन की आग अब भी धधक रही है। नेपाल गए भारतीय और भारत आए नेपाली नागरिक अपने-अपने घरों को लौटने के लिए परेशान हैं। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों ने आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया है। एक दिन पहले मंगलवार को भारतीय नागरिकों को नेपाल नहीं जाने की दी जा रही सलाह अब रोक के आदेश में बदल गई है। मानवीय और तकनीकी आधार पर ही बुधवार को बार्डर क्रॉस करने की इजाजत मिल पा रही है। भारत-नेपाल का रक्सौल मैत्री सेतु सूना पड़ा है। वैसे लोग जो इलाज या किसी और मानवीय कारणों से भारत में आए थे और उनके पास नेपाली नागरिक होने का पहचान है, उन्हें ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियां नेपाल सीमा में प्रवेश को स्वीकृति दे रही हैं। इसके लिए भारतीय रजिस्टर में उनके पहचान और आने के कारणों की उनकी इंट्री करने के बाद ही नेपाल में प्रवेश की इजाजत दी जा रही है। नेपाल से लौटने वाले भारतीय नागरिकों की भी पहचान जानने और सामानों की सघन जांच के बाद ही भारत के बिहार बार्डर पर प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। एसएसबी ने जांच के लिए “स्निफर डॉग” की टीम को भी तैनात किया है। यह सख्ती सुरक्षा और नेपाल सेना के आग्रह पर की जा रही है।