करवा चौथ पर विशेष : ” तुझमें रब दिखता है यारा मैं क्या करूं…. “

करवा चौथ का पर्व हर सुहागिन के लिए बेहद खास होता है जो परंपरा के साथ आपसी विश्वास को भी बढ़ाता है। पति की दीर्घायु और मंगल कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर अपने प्रेम, समर्पण और त्याग का परिचय देती है। उनके इस प्रेम पर्व का सबसे बड़ा साक्षी तो वह चांद होता है जिसे देखने के बाद सुहागिनें पति के हाथों से जल पीकर अपने व्रत का पारण करती हैं प्रेम और त्याग के इस पवित्र पर्व के मौके पर कुछ सुहागिनों ने साझा किये अपने अनुभव। पेश है विवेक कुमार की रिपोर्ट।
1. वाराणसी की कनिका श्रीवास्तव कहती हैं कि करवा चौथ का पर्व न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो प्रेम, समर्पण और एकता का संदेश देता है। इस अवसर पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और पूजा अर्चना करती हैं। यह पर्व प्रेम, समर्पण और परिवार की एकता का प्रतीक है। करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने सोलह श्रृंगार करती हैं फिर अपने पति के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है जिसमें महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखती हैं शाम को चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं और चांद को अर्घ्य देती हैं। इस पर्व का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है बल्कि यह पति पत्नी के प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है। इस अवसर पर महिलाएं अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा- अर्चना करती हैं और अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं।
2. समाज सेविका ओम सिंह कहती हैं कि करवा चौथ पति और पत्नी के रिश्ते को प्रत्येक वर्ष सीचने का काम करता है। उनके आपसी प्रेम, समर्पण, वफादारी और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। हमारे भारत देश में निर्जला व्रत का बहुत महत्व है जिसको करने से शरीर के बहुत से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और स्वास्थ्य अच्छा होता है। इस व्रत में दिन भर निर्जला व्रत रखकर रात को चांद की पूजा के बाद परिवार के लोग साथ बैठकर प्रेम पूर्वक भोजन करते हैं जो भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित करता है। हम भारतीय सूरज, चांद, जल, अग्नि सब की पूजा करते हैं। और पति के लंबी आयु और जीवन में शीतलता मांगते हैं। इस दिन सास अपनी बहू को गिफ्ट (सरगी) के साथ ढेरो आशीर्वाद देती हैं, तो सास बहू के रिश्ते को भी यह व्रत मजबूती देता है कहते हैं न, हर रिश्ते को बड़ी मेहनत से सीच कर पक्का करना पड़ता है।
3. प्रयागराज की आर्टिस्ट एवं फैशन डिजाइनर प्रतिभा पांडे बताती हैं कि पति के साथ के लिए एवं उनकी दीर्घायु के लिए हर महिला करवा चौथ का व्रत रखती है सुहागिन स्त्री के लिए अपनी पति की लंबी आयु व खुशी के लिए हर औरत यह व्रत रखना चाहेगी। करवा चौथ का त्यौहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते प्यार और विश्वास का प्रतीक है। शादी की शुरुआती दिनों से आज तक की यात्रा की शेयरिंग कर मन फिर से नए कलेवर से भर जाता है। बस यूं ही साथ बना रहे यही भगवान से प्रार्थना करती हूं यहां तक जब मैं व्रत रहती हूं तो मेरे पति भी मेरे साथ भूखे ही रहते हैं और मेरे हाथों में मेहंदी भी मेरे पति ही लगाते हैं। उनके इस अनोखे अंदाज को देखकर मुझे बेहद प्रसन्नता होती है।
4. भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रूचि खरे बताती हैं कि करवा चौथ का त्यौहार एक बहुत ही गौरवशाली क्षण होता है जो कि पति और पत्नी के रिश्ते को प्रगाढता प्रदान करता है। पति और पत्नी का रिश्ता विश्वास पर आधारित होता है निश्चय ही पति में भी कुछ कमियां होती है और पत्नी में भी होती है। लेकिन दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं और दांपत्य जीवन के रूप में यह एक ऐसा आधार है जो परिवार को आगे ले जाता है और बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान करता है। जो कि आगे की समाज की पीढ़ी होते हैं समाज का भविष्य होते हैं और उनको एक सुरक्षित संस्कार युक्त सुखद वातावरण प्रदान करता है अपने व्यक्तित्व को बनाने के लिए।
5. नेचुरल केयर की ओनर डॉक्टर पल्लवी बताती हैं कि पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ का व्रत कठोर संकल्प और मोहक श्रृंगार संग पति -पत्नी के कोमल रिश्तो का भावुकता के बंधन में बंधने वाला होता है। करवा चौथ प्यार का पवित्र त्यौहार है जो हर साल पति-पत्नी के रिश्ते को रिफ्रेश कर एक नई ताज़गी और उमंग भर देता है। यही वह दिन होता है जब व्यस्त जिंदगी से बहुत से पति-पत्नी एक दूसरे के लिए समय निकालते हैं। मोबाइल की वजह से घर में रहकर भी लोग एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं हमारे सनातन धर्म में यह पर्व लोगों में और उनके आपसी रिश्तों को तरोताजा करने का काम करते हैं और हम सबको फैमिली के इंपोर्टेंस बताते हैं।
6. इंदिरा नगर की रहने वाली कविता शुक्ला का कहना है कि नारी की नजर में करवा चौथ पति के प्रति प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत नारी शक्ति, त्याग और परिवार की खुशहाली को दर्शाता है। साथ ही यह महिलाओं को एकजुट कर उनमें जुड़ाव पैदा करता है, जिसमें अकेलेपन का भाव कम होता है। हालांकि कुछ महिलाएं इसे पारंपरिक और प्रतिगामी मानती है, लेकिन मैं इसे प्रेम, भक्ति और पत्नी के संकल्प का उत्सव मनाती हूं। यह सुहागिनों की खुशियों, अरमानों और अलौकिक अनुभूतियों की कसौटी का त्यौहार है। करवा चौथ का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है।
7. प्रताप वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष ममता सिंह की नजर में करवा चौथ पति के प्रति प्रेम भक्ति और लंबी उम्र की कामना का पर्व है जहां वह अपने पति की भलाई के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं यह सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि आधुनिक भारतीय नारी के लिए अपने रिश्ते को मजबूत करने, अपने परिवार से जुड़ने और खुद को सजाने संवारने का भी अवसर है करवा चौथ मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति के लिए लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना के साथ मनाया जाता है पूरा दिन पानी और भोजन के बिना रहकर महिलाएं अपने पति के प्रति अपने समर्पण और प्रेम को व्यक्त करती है करवा चौथ की मुख्य परंपराओं में सरगी खाना, दिन भर निर्जला व्रत रखना, करवा चौथ की कथा सुनना चंद्रमा को अर्घ्य देना और पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलना। महिलाएं चांद को छलनी से देखतीं हैं और पति के लंबी आयु व सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
8. ट्रांसपोर्ट नगर की स्मिता श्रीवास्तव ने करवा चौथ की यादों को साझा करते हुए कहा कि करवा चौथ का व्रत हर विवाहित नारी के मन को एक सुखद अनुभूति के एहसास से सराबोर कर देता है स्त्रियों के लिए करवा चौथ कुछ अलग ही एहसास लेकर आता है। एक तरफ निर्जल निराहार रहकर व्रत रखना और दूसरी तरफ सज धज कर सबसे सुंदर दिखने की उमंग और साथ ही परिवार के सदस्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए व्रत के पूजन की विधिवत तैयारी करना एक अलग ही एहसास कराता है। प्रेम और समर्पण से भरा यह पर्व हर विवाहित स्त्री के लिए महत्वपूर्ण है।
9. राज्य ललित कला अकादमी की मेंबर किरण सिंह राठौर का मानना है कि नारी के जीवन में करवा चौथ का एक बहुत बड़ा महत्व होता है जो कि साल में एक बार पति के लिए जो स्त्री व्रत रखती है उसकी कामना होती है कि हमारे पति हमसे ज्यादा दीर्घायु हो। दूसरी बात बिना जल ग्रहण किये जब तक चांद नहीं निकलता तब तक वह जल ग्रहण नहीं करती है यही एक ईश्वर की शक्ति है जो नारी को इतनी शक्ति देती है चाहे कोई भी व्रत हो पति के लिए हो या बेटे के लिए हो जो नारी में शक्ति है ईश्वर ने हीं दिया है। उसके अलावा उस शक्ति का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता है वह चाहे व्रत के रूप में करें परिवार के रूप में करें या समाज के लिए करें जो नारी में शक्ति है जो नारी में विवेक है सोचने समझने की क्षमता है की आने वाला भविष्य क्या है जो नारी में एक प्रतिबिंब की तरह उतर आती है उससे वह आगे बढ़ती है वही एक करवा चौथ है जो कामना करती है अपने पति के लिए। वह जानती है कि हमारे पति हमसे दीर्घायु हो। वह हमेशा यही चाहती है कि मेरा पति हमसे आगे हो बच्चों के लिए भी उतना दायित्व निभाती है जितना पति के लिए निभाती है वह हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करती है कि हमारे पुत्र को कभी भी कोई कष्ट ना हो अगर पति को कोई कष्ट हो तो मुझे मिल जाए लेकिन मेरे परिवार को कोई कष्ट नहीं मिलना चाहिए यही नारी में बहुत बड़ी शक्ति और क्षमता होती है।
10. राजाजीपुरम की रंजना श्रीवास्तव कहती है कि करवा चौथ पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिनों द्वारा रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा जाता है करवा चौथ का व्रत घर परिवार में सुख समृद्धि लाता है यह पति-पत्नी के बीच की मजबूत रिश्ते और प्रेम को दर्शाता है इस व्रत को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
11. विधान परिषद के पूर्व अधिकारी पी के निगम का कहना है कि 45 साल से तो हर साल करवा चौथ देख रहे हैं भारतीय सनातन धर्म में पति-पत्नी का सातों जनमो का नाता और पति को परमेश्वर के रूप में पत्नी द्वारा मान्यता देना और उस संबंध को आजीवन निभाते रहने का संकल्प इस पर्व का बहुत बड़ा आधार है और जाने अनजाने इस पूरे संस्कारों की परंपरा को निभाते निभाते अपने पति या पत्नी में ही ईश्वर चेतना की अनुभूति इसी जीवन में ही कर लेते हैं तभी कोई यह कह बैठता है कि ”तुझ में रब दिखता है यारा मैं क्या करूं”।
बात दरअसल यह है कि सनातन धर्म में रची बसी एक पत्नी अर्धांगिनी है मात्र एक व्याहता नहीं है। उसका समर्पण प्रेम त्याग वह करुणा का भाव उसे ऐसी अदम्य आत्म शक्ति से भर देता है जिसके बूते बड़े से बड़े संकट चाहे पति- पत्नी या परिवार पर समाज में आए संकट टल जाते हैं सबको छोड़कर जीवन का त्यौहार मनाने की सामर्थ्य हमें अपने आसपास मिल जाती है यही सार्थकता इस महान पर्व की है
प्रस्तुति- विवेक कुमार