
बंगलुरु। बलात्कार के मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। अदालत का कहना है कि आपसी सहमति से शुरू हुआ रिश्ता अगर निराशा के साथ खत्म होता है, तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता। दरअसल एक महिला ने याचिकाकर्ता पर रेप का आरोप लगाया था। वहीं, कोर्ट ने पाया कि दोनों के बीच संबंध सहमति से बने थे। जस्टिस एम नागप्रसन्न मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर वर्तमान अभियोजन पक्ष को ट्रायल में चलते रहने की अनुमति दी गई, तो यह न्याय की विफलता की ओर एक औपचारिक प्रक्रिया के अलावा कुछ नहीं होगा। यह कानून का दुरुपयोग होगा। दरअसल ये दोनों डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे और पहचान होने के बाद दोनों एक होटल में मिले और संबंध भी बनाए। महिला ने बाद में आरोप लगाया कि उसके साथ बलात्कार हुआ है।
महिला की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई, जिसे हाई कोर्ट में आरोपी ने चुनौती दी। कोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी ने जानबूझकर आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच हुई चैट को नजरअंदाज किया था। कोर्ट ने पाया कि चैट से संकेत मिलते हैं कि दोनों के बीच आपसी सहमति से फैसले लिए गए थे। इस दौरान उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें सहमति से संबंध और बलात्कार के बीच अंतर बताया गया था। हाई कोर्ट ने आरोपी की याचिका को स्वीकार कर लिया और एफआईआर को खारिज कर दिया।






