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टाइप-2 डायबिटीज का इलाज अब सिर्फ 2 घंटे में, डायबिटीज की दवाइयों की नहीं पड़ती आवश्यकता !

नई द‍िल्‍ली. आज तक डायबिटीज की बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं था. यह एक बार हो जाए तो इसे सिर्फ दवाओं, डाइट और लाइफस्टाइल से ही कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन अब एम्स के सर्जरी विभाग के डॉ. मंजूनाथ ने दावा किया है कि एक खास प्रक्रिया यानी मेटाबॉलिक सर्जरी से डायबिटीज को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है और कई मामलों में यह बीमारी लगभग खत्म भी हो सकती है. यह सर्जरी शरीर की मेटाबॉलिज़्म प्रक्रिया में बदलाव लाकर इंसुलिन की सेंस्टिविटी बढ़ाती है, जिससे ब्लड शुगर प्राकृतिक रूप से कम होने लगता है. डॉ. मंजुनाथ ने 35 से अधिक मरीजों पर इस सर्जरी को सफलतापूर्वक किया है, और उनके अनुसार, इन सभी मरीजों को अब डायबिटीज की दवाइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती है.

यह तकनीक ऐसे समय में उम्मीद बनकर सामने आई है जब देश में डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है. भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी डायबिटीज आबादी वाले देशों में शामिल है जहां करीब 10 करोड़ लोग शुगर से पीड़ित हैं. गलत खानपान, कम शारीरिक गतिविधि, तनाव, नींद की कमी, मोटापा और परिवार में बीमारी का इतिहास इसके तेजी से बढ़ने की बड़ी वजहें हैं.

डायबिटीज मरीजों पर की नई सर्जरी में अब तक क्या नतीजे मिले?

  • एम्स (AIIMS) के सर्जन डॉक्टर मंजूनाथ और हॉस्पिटल विभाग का कहना है कि उन्होंने 35 डायबिटीज मरीजों पर एक खास तरह की सर्जरी की जिसके नतीजे बेहद प्रभावी रहे.
  • यह पूरी सर्जरी सिर्फ 2 घंटे में हो जाती है.
  • मरीजों को लंबे समय तक अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं होती. मरीज सिर्फ 24 घंटे के अंदर घर लौट सकते हैं.

यह खास सर्जरी हर डायबिटीज मरीज के लिए नहीं है.

डॉक्टरों के अनुसार, यह सर्जरी मोटापे के इलाज के लिए थी लेकिन अब इस सर्जरी से डायबिटीज की बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है. एम्स ने स्पष्ट किया है कि यह खास सर्जरी हर डायबिटीज मरीज के लिए नहीं है.

यह सर्जरी खास तौर पर उन लोगों के लिए है 
  • बीमारी लंबे समय से है
  • HbA1C लगातार 7.5 से ज्यादा हो
  • तीन दवाओं के बाद भी शुगर कंट्रोल न होता हो

यह सर्जरी उन मरीजों को नहीं करवानी चाहिए

  • जिन्हें डायबिटीज को 15 साल से ज्यादा हो चुके हों
  • जिन्हें 100 यूनिट तक इंसुलिन लेनी पड़ती हो

कैसे होती है सर्जरी?

डॉक्टरों के मुताबिक यह सर्जरी पैनक्रियाज पर नहीं बल्कि पेट और छोटी आंत पर की जाती है. मेटाबोलिक सर्जरी में सबसे पहले पेट का साइज कम करके उसे ट्यूब जैसी शेप दी जाती है. इसकी वजह से शरीर के जिस हिस्से में अलग तरह के हार्मोन बन रहे हैं उसे फूड पाइप में जाने से रोका जाता है. इसके बाद छोटी आंत को इस बदले हुए पेट से इस तरह जोड़ दिया जाता है कि खाना पेट में जाने के बाद डुओडेनम को पार करता हुआ सीधे आगे की आंत में पहुँच जाता है.

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