रक्षाबंधन पर विशेेष : बहनों की जुबानी रक्षाबंधन पर मीठे यादों की कहानी

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति और समाज का सर्वाधिक संवेदनशील पर्व है। भाई बहन का रिश्ता एक दूसरे के लिए किसी अनमोल रत्न से कम नहीं होता। जरूरी नहीं की वह खून का रिश्ता हो। हर कदम एक दूसरे का साथ, गलतियों पर डांट तो मुश्किल की घड़ी में देखभाल और फिक्र। रक्षाबंधन के मौके पर भाई बहनों से जुड़ी मीठी यादों में खो जाते हैं। इस बार रक्षाबंधन के इस पावन पर्व के मौके पर आईए जानते हैं कुछ बहनों से उन्हीं की कहानी खुद उनकी जुबानी। पेश है विवेक कुमार की रिपोर्ट।
1. स्काईलार्क वर्ल्ड स्कूल की प्रधानाचार्या सुषमा सोनी बताती है कि जब राखी का धागा सरहद तक पहुंचता है तब यह केवल कलाई नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली डोर बन जाता है। रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का पर्व है लेकिन जब भाई सीमा पर तैनात हो तो यह उत्सव भावनाओं के सबसे गहरे रंगों में रंग जाता है। यह केवल धागा नहीं, बल्कि विश्वास त्याग और मातृभूमि की रक्षा का प्रतीक बन जाता है। हां जरा सोचिए उस बहन को जिसने महीनों से रक्षाबंधन का इंतजार किया। उसने थाली सजाई, मिठाइयां रखीं और हर आहट पर उम्मीद से भरी नजरों से दरवाजा देखा। लेकिन भाई नहीं आया। उसकी कलाई सूनी रह गई। अलमारी में सजी पुरानी राखियों को सहलाते हुए वह उन दिनों में लौट गई, जब भाई हंसते हुए कहता था-तेरी राखी मेरी सबसे बड़ी ताकत है। उसकी आंखें नम हो उठी, पर गर्व से भरा दिल कह उठा-मेरा भाई आज भी मेरी रक्षा कर रहा है। दूसरी और वही भाई सीमा की चौकी पर खड़ा है। उसका माथा सूना है, पर दिल में बहन की तस्वीर और उसकी दुआओं का साथ है। वह सोचता है काश राखी पर घर जा पाता बहन की आंखों में वह चमक देख पाता पर इस बार मैंने सिर्फ अपनी बहन का नहीं, इस पूरे देश की हर बहन का रक्षक बनने का प्रण निभाया है। यही मेरी असली राखी है। राखी का यह धागा केवल कलाई नहीं बल्कि दिलों को जोड़ता है। यह सरहद की चौकियों तक पहुंच कर बहनों की दुआओं को सैनिकों की ढाल बनाता है। यही रक्षाबंधन की सबसे बड़ी सच्चाई है-जब निजी रिश्तों का प्रेम मातृभूमि की सेवा में बदलकर अमर हो जाता है। इस रक्षाबंधन पर हमें याद रखना चाहिए। कि सरहद पर खड़े हर सैनिक भाई ने न केवल अपने घर की बहन, बल्कि इस देश की हर बेटी की रक्षा का वचन लिया है। यही त्याग यही गर्व और यही प्रेम इस पर्व को सबसे महान बनाता है।
2. गोमती नगर विस्तार की वर्षा वर्मा रक्षाबंधन पर अपने बचपन की यादगार लम्हों के बारे में बताती हैं कि किसी मामूली बात पर माता जी की फटकार से हितेश ने अपनी छोटी बहन वर्षा का हाथ पकड़ा और घर की दहलीज पार करके घर छोड़ने का इरादा बना लिया जबकि हितेश की उम्र 9 वर्ष वही दूसरी ओर उसकी छोटी बहन वर्षा की उम्र लगभग 7 वर्ष रही होगी रक्षाबंधन की सुबह लगभग 9:00 बजे जब मम्मी का दिया हुआ नाश्ता खत्म करने की बजाय टामी के कटोरे में नजर आया तो मम्मी का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया। एक झापड़ रसीद किया ही था मुंह पर की भाई तुतलाते हुए मम्मी के ऊपर गुस्साने लगा। क्यों हर समय चिल्लाती रहती हो मेरी छोटी बहन पर। नहीं मन था तो नहीं खाया इसमें मारने की क्या जरूरत थी गुस्से में मम्मी ने कहा कि तुमको भी कूटेंगे ज्यादा हिमायती बने तो और ज्यादा प्यार आ रहा है तो निकालो दोनों लोग घर से। यहां रहना है तो मेरे हिसाब से रहना होगा। आव देखा न ताव भाई ने मेरा हाथ पकड़ते हुए घर की दहलीज के सीधा बाहर और बोला जा रहे हैं और वापस नहीं आएंगे अगर हमारी बहन को किसी ने डांटा तो। फिर दादी ने समझाया कि आज त्यौहार है त्योहार निपट जाए उसके बाद अपनी बहन को लेकर चले जाना वैसे भी मम्मी ने आज सभी पकवान तुम्हारे मन के बनाए हैं। त्योहार के नए कपड़ों मिठाइयां और मम्मी के हाथ के स्वादिष्ट पकवान ने फिलहाल घर छोड़ना आज के लिए कैंसिल कर दिया।
3. दिल्ली की मेकअप आर्टिस्ट दिव्या श्रीवास्तव कहती हैं कि कुछ त्यौहार हम सबके लिए बहुत खास होता है इनमें से रक्षाबंधन मेरे लिए सबसे ज्यादा खास है क्योंकि मुझे अपने भाई से बेहद प्यार है इस दुनिया में सबसे ज्यादा ।आज अगर मैं एक सफल मेकअप आर्टिस्ट हूं सिर्फ मेरे भैया की वजह से मुझे क्या चाहिए उनको मुझसे पहले पता चल जाता है एक किस्सा हो तो सुनाऊं। लेकिन एक कुछ खास बात है कि मैं घर पर थी और भैया मुझसे दूर उदयपुर में उनकी पहली पोस्टिंग थी राखी के समय उनकी तबीयत ठीक नहीं थी ऑफिस में भी एक दिन की छुट्टी लेकर बोले मुश्किल है आना । फिर क्या सब उदास थे और मैं पहली बार उनसे दूर ।लेकिन राखी को सुबह 5:00 बजे दरवाजे पर भैया इतनी दूर से दर्द में भी आ गये कितनी खुश थी मैं शब्द नहीं है उसकी पहली सैलरी और मेरे लिए उदयपुर से सुंदर से गाउन लाये मैंने बोला क्यों लाये बोलते है पापा का तो सब कुछ है लेकिन यह खास दिन तुम्हारा और गिफ्ट भी। लेकिन मेरे लिए भैया का इतनी दिक्कतें में इतनी दूर से आना और गले लगाना ही बेस्ट गिफ्ट था।
4. इंदिरा नगर की कविता शुक्ला बताती हैं की बात 2006 की है मेरे बड़े भैया हैदराबाद से एमबीए कर रहे थे और मैं लखनऊ में बीएमएस। उस समय मेरे पास मोबाइल नहीं था घर पर लैंडलाइन फोन था जिसमें एसटीडी कॉल्स नहीं होती थी । पॉकेट मनी ₹500 थी। उसको बचाकर मैं उन्हें पीसीओ से कॉल करती तो वह बोलते की घर जाओ अब मैं करता हूं। 7 अगस्त 2015 को मेरे इकलौते भाई का अचानक स्वर्गवास हो गया। आज हाथ में हर समय मोबाइल रहता है खुद के कमाए हुए पैसे हैं जिनका किसी को हिसाब भी नहीं देना होता है किंतु वह नंबर नहीं है जिसको मिलाऊं और उनसे बात हो जाए। कहते हैं वक्त के साथ यादें कम हो जाती हैं मगर भाई मुझे तेरी याद हर पल आती है।
5. प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर की प्रधानाध्यापिका पूनम अवस्थी रक्षाबंधन पर यादगार लम्हों के बारे में बताती हैं की हर भाई बहन के लिए अलग एहसास है लेकिन यह एक ऐसा त्यौहार है जो हमेशा यादों में बसा रहता है। कुछ यादगार लम्हों में बहन का भाई को कलाई पर राखी बांधना, भाई का बहन को उपहार देना और दोनों का साथ में समय बिताना अपने लम्हों को यादगार बनाता है ऐसे ही कुछ वर्ष पहले मेरा भाई अमेरिका जा रहा था और रक्षाबंधन का पर्व दो दिन बाद ही था जाते समय हम भाई-बहन ने जो वक्त एक साथ बिताया वह मुझे आज तक याद रहता है।
6. मुंबई की निकिता राय का कहना है कि बचपन में राखी का बहुत ही बेसब्री से इंतजार करती थी क्योंकि बचपन की सूझ बूझ के अनुसार मुझे बहुत अच्छा लगता था रंग-बिरंगे राखियां खरीदना जिसे बांधने पर अपने भाइयों से मिलने वाले पैसे और उपहार का सोच मेरी उत्सुकताये और बढ़ती जाती थी छोटी उम्र से ही मैं उस दिन , शुभ मुहूर्त के अनुसार पूरे दिन भूखे रहती थी। और एक भी भाई अगर किसी वजह से बाकी रह जाए तो बिना राखी बांधे कुछ भी नहीं खाती थी जिसके लिए मेरी मां और घर के बाकी लोगों से बहुत डांट खाती थी पर धीरे-धीरे बड़े होने के बाद मुझे इस धागे का मतलब समझ आया पर अफसोस होता है कि अब लाख कोशिशों के बावजूद भी इस भागम भाग की जिंदगी में शायद ही कभी बड़ी मुश्किल से मौका मिल पाता है आमने-सामने बैठकर राखी बांधने का मेरे दिल को बहुत सुकून, खुशी और तसल्ली मिलती है कि मैं अपने खून के रिश्तों के अलावा भी बहुत सारे भाइयों के माथे पर टीका और कलाई में राखी बांधती हूं जिनकी कोई जैविक बहन नहीं है। कई भाइयों को तो कभी देखा भी नहीं, न हीं मिली फिर भी लगभग कई वर्षों से राखी भेज कर, इस परंपरा को निभाती आ रही हूं और मेरे दिल में सबके लिए बराबर प्यार और आशीर्वाद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि मुझे इन रिश्तों को उम्र भर निभाने में सक्षम करें। इस पावन पर्व पर मैं अपने और आप सभी के भाइयों और बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
7. मिस टीन इंडिया डेलीवुड 2019 अक्षिता मिश्रा बताती है कि जब जब यह त्यौहार आता है तो मुझे अपने भाई की बहुत याद आती है। पिछले साल से मैं दिल्ली में पढ़ाई कर रही हूं। इस बार मैं अपने भाई के पास लखनऊ आ रही हूं रक्षाबंधन के त्यौहार में मेरा भाई मुझसे छोटा है उसके लिए अपनी पढ़ाई के खर्चे से कुछ रुपए बचा कर उसको मिठाई और कपड़े खरीदती हूं। मैं अपनी मम्मी को बहुत याद करती हूं अब वह हम लोगों के बीच नहीं है। जब मैं आठवीं कक्षा में थी तब हमारी एक भारतीय सौंदर्य प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले नई दिल्ली में था उस समय भी रक्षाबंधन का त्यौहार था तब मेरे पापा मेरे साथ दिल्ली में ही थे उस समय मेरी मम्मी और मेरा छोटा भाई राखी बंधवाने मेरे पास आए थे तब हम लोग एक दूसरे के साथ मिलकर बहुत सारी खुशियां बांटी थी वह पल हम कभी नहीं भूल पाती हूं। अब हम किसी भी त्यौहार में घर आती हूं तो मुझको मां की बहुत याद सताती है सब लोग तो मिलते हैं पर मां नहीं मिलती है।
8. बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ निशी रस्तोगी रक्षाबंधन के बारे में पूछने पर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लेते हुए बताती है कि रक्षाबंधन हर साल आता है हम राखी बांधते हैं, गिफ्ट लेते हैं, मिठाइयां खाते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं और फिर अगले साल का इंतजार शुरू हो जाता है लेकिन कुछ रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार बनकर नहीं आते एक एहसास बनकर दिल में उतर जाते हैं इस साल वैसा ही कुछ हुआ सुबह से ही घर में हलचल थी हम दोनों बहने रक्षाबंधन की तैयारी में लगी थी थाली सजाना, फूल चुनना और मां के साथ हलवा बनाना। भाई हमेशा की तरह शांत, चुपचाप मुस्कुराता हुआ पूरे घर में टहल रहा था। ना कोई खास तैयारी, ना कोई गिफ्ट का कोई जिक्र। एक पल को तो लगा शायद कुछ भूल गया है। राखी का समय आया हम दोनों ने मिलकर उसे तिलक लगाया, आरती उतारी और राखी बांधी। भैया चुप रहा। बस थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से छोटी-छोटी दिव्या निकालीं और हमें पकड़ा दिया। थोड़ा सा कौतुहल थोड़ी सी उम्मीद। डिब्बी खोली तो चांदी का एक जैसे कड़े थे। एक जैसा डिजाइन, एक जैसी चमक जैसे किसी ने रिश्ते को किसी आभूषण में ढाल दिया हो। हम दोनों बहने एक दूसरे का मुंह देखने लगी बिना बोले मुस्कुरा पड़ी। मुझे पता था यही नजरे कह रही थी। किसी को कुछ पता नहीं था। भैया ने बस इतना कहा तुम दोनों मेरे लिए अलग नहीं हो तो तोहफा अलग कैसे हो सकता है। रक्षाबंधन का मतलब बस एक धागा नहीं, एक खामोश समझदारी है। और कभी-कभी सबसे खास तोहफे चुपचाप दिए जाते हैं।
9. श्रृंगार नगर की नंदनी दिवाकर कहती है कि एक फिल्म का गीत है मेरे चंदा मेरे भैया मेरे अनमोल रतन यह भाई बहन का संबंध है ही इतना अनमोल इतना खूबसूरत कि संसार में कोई इसकी कोई दूसरी उपमा नहीं। वैसे तो हम पांच बहने ही हैं जो की परिस्थितियों के अनुसार एक दूसरे के लिए भाई बन जाते हैं, पर मुझे भी दुनिया में ऐसे अनमोल रतन मिले जिन्होंने भाई की कमी कभी महसूस नहीं होने दी। इनमें से कुछ का जिक्र यहां करना चाहूंगी। वैसे तो राखी पर मेरे बहुत सारे पल यादगार लगे हैं लेकिन एक लम्हा मुझे हमेशा याद रहेगा नैनीताल मोमोज के संस्थापक रंजीत भैया जो कि शहर में बहुत मशहूर है एक दिन वह मेरे घर आए और मेरी उनसे मुलाकात हुई और उसके बाद उन्होंने मुझे बोला नंदिनी आज के बाद से तुम कभी अपने आप को अकेला मत समझना मैं तुम्हारा भाई हमेशा रहूंगा कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो मुझे हमेशा याद करना और रक्षाबंधन पर वह मेरे घर आए और उन्होंने मुझसे राखी बंधवाई। यह लम्हा मुझे हमेशा याद रहेगा।
10. गोमती नगर की मृदुला श्रीवास्तव बताती है कि रक्षाबंधन एक ऐसा अवसर है जो मेरे दिल के बहुत करीब है जब मेरी बेटी हुई तो मेरा बेटा बहुत खुश हुआ कि उसकी बहन उसको राखी बांधेगी। और जब रक्षाबंधन आता है तो मुझे बेहद खुशी मिलती है जब बेटी को उसने गिफ्ट दिया तो उसे बहुत अच्छा लगा। लेकिन आजकल मैं देख रही हूं की रक्षाबंधन में लोग फोटो तो सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं लेकिन अब उनके अंदर वह मूल भावनाएं देखने को नहीं मिलती जो पहले के लोगों में दिखती थी। यह सच है कि भाइयों का प्यार अनोखा होता है क्योंकि इसे मैंने महसूस किया।
प्रस्तुति- विवेक कुमार