
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में सुधार के लिए सरकार की पहल को सही बताया, लेकिन कहा कि जो कदम उठाए गए हैं वे पर्याप्त नहीं है और अभी इसके अनुपालन की जटिलताओं को खत्म कर और जन उपयोगी बनाने की जरूरत है। खड़गे में गुरुवार को जीएसटी सुधारों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने इसे अत्यंत जटिल बना दिया था और आम आदमी को जीएसटी के ज़रिए कुचलने का काम हो रहा था। इसलिए कांग्रेस ने इसे गब्बर सिंह टैक्स भी कहा था। उनका कहना था कि इसके अनुपालन में अभी जटिलताएं हैं और उन्हें दूर करने की सख्त जरूरत है।
उन्होंने कहा कि लगभग एक दशक से कांग्रेस जीएसटी के सरलीकरण की मांग कर रही है। मोदी सरकार ने ‘वन नेशन वन टैक्स’ को ‘वन नेशन 9 टैक्स’ बना दिया था। जिसमें शून्य प्रतिशत, पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत के टैक्स स्तर शामिल थे और 0.25 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत, तीन प्रतिशत तथा छह प्रतिशत की विशेष दरें थीं।”
उन्होंने कहा कि दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेन्सिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों पर भी मोदी सरकार ने जीएसटी टैक्स थोपा। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया। कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है लेकिन अरबपतियों से केवल तीन प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता है, जबकि कॉरपोरेट टैक्स दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में आयकर वसूली में 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई और जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ये अच्छी बात है कि 8 वर्ष देर से ही सही जीएसटी पर मोदी सरकार की कुम्भकर्णीय नींद खुली और उन्होंने जागकर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने बात की है। सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर पांच वर्षों की अवधि के लिए मुआवजा दिया जाए, क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। जीएसटी के जटिल अनुपालनों को भी ख़त्म करना होगा, तभी सही मायने में एमएसएमई और छोटे उद्योगों को फ़ायदा पहुंचेगा।