
ढाका। बांग्लादेश में अधिकारियों ने 25 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर निर्मम हत्या के मामले में 7 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। अंतरिम सरकार ने शनिवार को मैमनसिंह शहर में गुरुवार को हुई इस घटना की त्वरित और गहन जांच के बाद इन गिरफ्तारियों की घोषणा की। इस घटना ने बांग्लादेश में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। दीपू चंद्र दास पर ईशनिंदा के आरोपों को लेकर भीड़ ने बेरहमी से हमला किया। वहां हिंसा भड़क उठी और भीड़ ने उस शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इसके बाद उसके शरीर को जला दिया गया। इस घटना ने इस क्षेत्र में गहरी जड़ें जमा चुके सांप्रदायिक तनाव को उजागर किया है । इस भयावह घटना से बांग्लादेश में कानून व्यवस्था और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हो गई है और इसकी विभिन्न पक्षों ने इसकी निंदा की है।
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने एक्स पर जारी एक आधिकारिक बयान में इस बात की पुष्टि की है कि विशेष कानून अनुपालन इकाई रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने हत्या से जुड़े सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। सरकार ने गहन जांच का वादा किया है और सभी दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का आश्वासन दिया है। बांग्लादेश, एक मुस्लिम बहुल देश है जहां हिंदू अल्पसंख्यक भी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यहां छिटपुट सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है। ईशनिंदा के आरोपों की वजह से जनाक्रोश फैलता है और यह कभी-कभी भीड़ को बेहद हिंसक बना देता है। सरकार ने बार-बार सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और धर्म के आधार पर भेदभाव किये बिना नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के महत्व पर जोर दिया है।
युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मृत्यु के बाद बढ़ी राजनीतिक अशांति और भारत विरोधी प्रदर्शनों के बीच भीड़ के हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या करने की यह घटना घटी। इस अशांत दौर में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ने को लेकर चिंताएं सामने आई हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा सहित भारतीय राजनीतिज्ञों ने गहरी चिंता व्यक्त की है और सरकार से बंगलादेशी अधिकारियों के साथ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने का आग्रह किया है।
इस घटना ने आक्रोश को बढ़ा दिया है और बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक असहिष्णुता जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। अंतरिम सरकार स्थिरता बनाए रखने और कानून के शासन को कायम रखने का प्रयास कर रही है, वहीं अधिकारियों पर घृणास्पद अपराधों से निर्णायक रूप से निपटने और अशांति को और ज्यादा बढ़ने से रोकने का दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि ये गिरफ्तारियां हिंदू युवक की हत्या के मामले में जवाबदेही की दिशा में एक शुरूआती कदम हैं, लेकिन पर्यवेक्षक अल्पसंख्यक समुदायों के बीच विश्वास को फिर से स्थापित करने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर देते हैं।







