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चीन के खिलाफ ब्रह्मोस का चक्रव्यूह हो रहा तैयार, रूस को भी ऐतराज नहीं

फिलीपींस के बाद वियतनाम और इंडोनेशिया भी खरीदने जा रहे ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें

नई दिल्ली। भारत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के निर्यात के लिए वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ महत्त्वपूर्ण सौदों को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गया है। इन सौदों की कुल कीमत 4,000 करोड़ रुपए (लगभग 450 मिलियन डॉलर) से अधिक होने का अनुमान है। दिलचस्प बात यह है कि इन तीनों देशों को दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक रणनीतियों और विस्तारवाद से बड़ी चिंता है। तीनों दोनों के पास ब्रह्मोस आने के बाद से चीन असहज जरूर महसूस करेगा। भारत ब्रह्मोस मिसाइलों को रूस के साथ मिलकर बनाता है। रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह इस सटीक हमले वाली हथियार प्रणाली को वियतनाम और इंडोनेशिया को बेचने पर कोई आपत्ति नहीं करेगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह आश्वासन चार दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलौसोव के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के दौरान दिया गया था। अब मॉस्को से औपचारिक अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की प्रतीक्षा है।100% PURE MUSTURD OIL (ADVERTISEMENT)

एक सूत्र ने बताया कि प्रारंभिक सौदों पर सहमति के बाद दोनों देश वियतनाम और इंडोनेशिया भविष्य में और अधिक ऑर्डर दे सकते हैं। सौदे अंतिम रूप लेने के बाद वियतनाम और इंडोनेशिया फिलीपींस के बाद अन्य आसियान देश बन जाएंगे, जो इन एयर-ब्रीदिंग मिसाइलों को खरीदेंगे। भारत ने जनवरी, 2022 में फिलीपींस को तीन एंटी-शिप ब्रह्मोस तटीय बैटरियों की सप्लाई के लिए 375 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपींस भी अधिक ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर दे सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इन तीनों देशों को दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक रणनीतियों और विस्तारवाद से बड़ी चिंता है। पिछले कुछ वर्षों में फिलीपींस और चीन के बीच टकराव बढ़ गया है। भारत की ओर से, ब्रह्मोस मिसाइलों की रेंज को मूल 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर कर दिया गया है। मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने सुकोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों से इन मिसाइलों को सफलतापूर्वक तैनात किया था, जिससे पाकिस्तान के गहराई वाले लक्ष्यों पर सटीक हमले किए गए।

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