इंफाल। मणिपुर में 48 घंटे तक बवाल शांत रहने के बाद शुक्रवार को एक बार फिर से हिंसा का दौर शुरू हो गया। एक महिला समेत तीन लोगों की शुक्रवार को हुई हिंसा में मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में अब तक मरने वालों की संख्या 105 हो गई है और 35,000 से अधिक लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर होना पड़ा। शुक्रवार को सुरक्षाकर्मियों के रूप में आए उग्रवादियों के एक समूह ने इस हत्या को अंजाम दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तलाशी अभियान के बहाने सुरक्षाकर्मी बनकर आए उग्रवादियों के समूह ने तीन लोगों को उनके घरों से बाहर बुलाया और उन पर गोलीबारी की, इससे तीनों की मौत हो गई। उधर, मणिपुर हिंसा मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक्शन में है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने हिंसा के आरोपों की जांच के लिए छह एफआईआर दर्ज की हैं। साथ ही, हिंसा की जांच को लेकर सीबीआई ने डीआईजी रैंक के अधिकारी के तहत विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
मैतेई और कूकी समुदाय के बीच छिड़ा संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। मई के आखिरी सप्ताह में होम मिनिस्टर अमित शाह भी मणिपुर पहुंचे थे और कई दिनों तक डटे रहे थे। तब कुछ शांति का माहौल बना था और बीते दो दिनों में कोई हिंसक वारदात नहीं हुई थी, लेकिन शुक्रवार को तनावपूर्ण शांति एक बार फिर से उपद्रव में तबदील हो गई। पूर्वोत्तर राज्य में 53 फीसदी आबादी मैतेई समुदाय के लोगों की है, जो मूल रूप से घाटी में बसे हैं। इसके अलावा 16 फीसदी कूकी समुदाय के लोग हैं, जिनकी अधिकतर आबादी पहाड़ी क्षेत्रों में ही बसी है। मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने पर विचार करने के हाई कोर्ट के सुझाव के बाद से राज्य में हिंसा शुरू हुई थी। इस प्रस्ताव का कूकी समुदाय ने विरोध किया था और वे लगातार इसके लिए आंदोलन कर रहे थे।