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बोतलों पर सेना का नकली स्टीकर लगाकर दूसरे राज्य की शराब बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़

देहरादून। उत्तराखंड में दूसरे राज्यों की सस्ती शराब लाकर बोतलों पर सेना की नकली स्टीकर लगा, आपूर्ति करने वाले गिरोह का देहरादून पुलिस ने बुधवार को खुलासा किया। पकड़े गए तस्करों में एक पूर्व सैनिक है, जबकि सेना की सीएसडी कैंटीन का एक पूर्व इंचार्ज और उसका एक पूर्व सहायक भी शामिल है। पुलिस अधीक्षक (अपराध) मिथलेश कुमार ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर थाना रायपुर पुलिस ने खंलगा पुल के पास वाहन चैकिंग के दौरान, स्कूटी सं0 यूके-07-एफए-9382 टीवीएस ज्यूपिटर के चालक नाम प्रवीण कुमार ठाकुर पुत्र ओमप्रकाश, निवासी हाल भरतु चौक, दौनाली चौक के पास, बालावाला, थाना रायपुर, देहरादून उम्र 43 वर्ष और स्कूटी पर पीछे बैठे अश्विनी कुमार उर्फ चिक्कू पुत्र श्रवण कुमार निवासी हाल उपरोक्त, उम्र 24 वर्ष को गिरफ्तार किया। जिनके कब्जे से पांच पेटी (60 बोतल) अंग्रेजी शराब मार्का मैक्डावल्स नं0 01, क्लासिक ब्लेंड व्हिस्की ओरिजिनल बरामद हुई। उक्त शराब की बोतलों पर डिफेंस के फर्जी स्टीकर के लेवल लगा होना पाया गया। स्कूटी की डिग्गी से डिफेंस के फर्जी स्टीकर के 32 लेवल बरामद हुए। उन्होंने बताया कि अभियुक्तगण के विरुद्ध थाना रायपुर में धारा 60/63/72 आबकारी अधिनियम व 420/483 भादवि के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया।

मिथलेश कुमार ने अभियुक्त गणों से पूछताछ के आधार पर बताया कि इन लोगों के गिरोह में पांच लोग है। जो चण्डीगढ से अवैध शराब लेकर देहरादून आते है। शराब रखने के लिये एकता एन्क्लेव , पित्थुवाला, देहरादून में इन्होंने एक गोदाम बना रखा है। जहां छापेमारी में विभिन्न ब्रान्ड के 21 पेटियां अग्रेजी शराब बरामद की गयी है। इन बोतलों पर डिफेंस के फर्जी स्टीकर के लेवल लगा होना पाया गया। इसके अलावा, गोदाम से फर्जी डिफेंस के 390 स्टीकर बरामद हुए। अभियुक्तों की शिनाख्त पर एक पूर्व सैनिक जितेन्द्र सिंह रावत पुत्र गोविन्द सिंह रावत निवासी ओम जनरल स्टोर, निकट भरतू पुलिया, बालावाला, देहरादून, उम्र 51 वर्ष को गिरफ्तार किया गया। जिसके कब्जे से दो पेटी अंग्रेजी शराब डिफेंस की फर्जी स्टीकर का लेवल लगी हुई बरामद हुई हैं। उन्होंने बताया कि जिसके विरूद्ध अलग से भी आबकारी अधिनियम में अभियोग पंजीकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि इस शराब को यह लोग पूर्व सैनिकों के माध्यम से पहाड़ों में महंगी दरों पर बेचते थे।

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