नई दिल्ली। भारत चीन के साथ विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए एक ‘अदृश्य’ सडक़ का निर्माण कर रहा है। इस सडक़ की खास बात है कि यह चीनी सेना के लिए अभेद्य होगी। इस सडक़ के जरिए अग्रिम पंक्ति को मजबूत करने के लिए सैनिकों, हथियारों और रसद की आवाजाही की जा सकेगी। इस खास योजना की कड़ी में भारत एलएसी स्थित अपने सबसे उत्तरी सैन्य अड्डे दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) तक एक महत्त्वपूर्ण सडक़ परियोजना पूरा करने के करीब है। दारबुक से डीबीओ की मौजूदा सडक़ एलएसी के निकट होने के कारण अधिक असुरक्षित है, जबकि तैयार की जाने वाली नई सडक़ नुब्रा घाटी में ससोमा से निकलती है। इस अदृश्य सडक़ के जरिए सेना और उपकरणों की आवाजाही आसानी से की जा सकेगी। हालांकि, 130 किलोमीटर लंबी इस सडक़ के निर्माण में कई चुनौतियां शामिल हैं। दुर्गम स्थिति होने के चलते अनुभवी इंजीनियरों के लिए भी इसे तैयार कठिन हो रहा है। सीमा सडक़ संगठन (बीआरओ) इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का नेतृत्व कर रहा है, जिसके लिए श्योक नदी पर पुल बनाने और हिमाच्छादित क्षेत्रों में काम करने की आवश्यकता है। इन चुनौतियों के बावजूद महत्वपूर्ण सैन्य गतिविधियों के लिए यह सडक़ नवंबर 2023 तक चालू हो जाएगी। वहीं 12 महीनों के भीतर पूरी तरह से ब्लैकटॉपिंग किए जाने की उम्मीद है। एक अधिकारी के अनुसार, परियोजना की समय सीमा को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।