भुवनेश्वर। ओडिशा में बीजेपी की पहली सरकार के लिए मुख्यमंत्री की तलाश पार्टी आलाकमान ने खत्म कर ली है, मगर इसके नाम से पर्दा नहीं उठा है। धर्मेंद्र प्रधान और जुएल उरांव के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद इतना साफ हो गया है कि अब विधानसभा में जीते किसी सीनियर विधायक को इसका मौका मिलेगा। अभी रेस में तीन सीनियर विधायक शामिल हैं। 11 जून को पार्टी विधायक दल की मीटिंग में केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव सीएम के नाम की पर्ची खोलेंगे। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी कई नामों पर कयास लगाए जा रहे थे, मगर पार्टी नेतृत्व ने नए चेहरों को मौका देकर चौंका दिया था। अभी सबसे अधिक चर्चा सुरेश पुजारी, मुकेश महालिंग और रवि नायक के नाम की हो रही है। पूर्व सांसद रहे सुरेश पुजारी पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए बैठे हैं। ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला।
इस चुनाव में बीजेपी को 40.07 फीसदी वोट के साथ 78 सीटें मिलीं, जबकि बीजू जनता दल 51 सीट जीतकर विपक्ष में पहुंच गई। चुनाव के दौरान बीजेपी ने ओडिशा अस्मिता का मुद्दा बनाया था और ओडिय़ा नेता को मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में दस जून को नई सरकार के शपथ लेने की डेट भी तय कर दी थी। चार जून को विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री के नाम पर विचार शुरू हुआ। सबसे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सीएम पद का स्वाभाविक दावेदार बताया गया, क्योंकि चुनाव में उन्होंने मुद्दों के साथ हर चरण में अलग-अलग रणनीति बनाई। सीएम की रेस में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश सामल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू, पूर्व सांसद सुरेश पुजारी भी हैं।