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न्यायाधीशों के सियासी दल ज्वाइन करने पर लगेगी रोक

नई दिल्ली। सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में राज्यसभा में कुल 23 प्राइवेट मेंबर्स बिल को सूचीबद्ध किया गया है। उच्च सदन में संवैधानिक पद धारकों जैसे जजों को सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किए जाने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक पर कुछ बिलों के साथ ही नागरिकता कानून में संशोधन संबंधी प्राइवेट बिलों को पेश किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल के सांसद एडी सिंह का संविधान (संशोधन) बिल, 2024 (अनुच्छेद 124, 148, 319 और 324 और नए अनुच्छेदों 220ए और 309ए को शामिल करने के संबंध में है) को सूचीबद्ध किया गया है। इसके जरिए संवैधानिक पदों पर बैठे लोग जैसे जज और पूर्व चुनाव आयुक्त आदि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक दलों में शामिल नहीं हो सकेंगे।

यह बिल ऐसे समय में लाया जा रहा है, जब हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने पांच मार्च को न्यायिक पद छोड़ा और दो दिनों के अंदर ही भाजपा में शामिल हो गए। इसी तरह जुलाई में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्या अपनी सेवानिवृत्ति के तीन महीने बाद ही भाजपा में शामिल हो गए थे। मानसून सत्र के लिए तृणमूल कांग्रेस के सांसद मौसम नूर ने दो बिलों को सूचीबद्ध कराया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने और दूसरे बिल में डीपफेक को अपराध घोषित किए जाने की मांग की गई है। भाकपा के पी संतोष कुमार ने नागरिकता (संशोधन) बिल, 2024 के जरिए पड़ोसी देशों से प्रताडि़त अल्पसंख्यक विदेशी नागरिकों को नागरिकता देने में संशोधन का प्रस्ताव किया है, जिसमें 2019 के मौजूदा कानून में संशोधन कर इसे धर्म के आधार पर नहीं देने की मांग की है।

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