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शिक्षक दिवस पर विशेष : ”गुरु कुम्हार, शिष्य कुंभ है …..”

शिक्षक दिवस पर विशेष:

”गुरु कुम्हार, शिष्य कुंभ है…..”

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले ऐसे अध्यापक थे जिन्होंने देश के सबसे सम्मानित राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाले एक आदर्श शिक्षक के रूप में जिया। खुद उनका मानना था कि पूरा विश्व ही शिक्षा का घर है उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन के पेशे को दिये। जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। तब से यह दिन शिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान, उनकी अथक मेहनत और विद्यार्थियों के जीवन को आकार देने में उनकी भूमिका का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर विवेक कुमार ने कुछ उत्कृष्ट शिक्षकों से बातचीत की। पेश है उनके विचार-

 

   1.             

 

चिल्ड्रेन सीनियर सेकेंडरी स्कूल आजमगढ़ की सपना सिंह कहती है कि शिक्षक वह दीपक है जो अपने आप को जलाकर बच्चों को ज्योति देने का काम करते हैं। डेडीकेटेड, पेशेंस, हार्ड वर्क, डिलिजेंस यही टीचर की पहचान होती है। सभी टीचर्स जब अपने बच्चों को पढ़ाते हैं आगे बढ़ाने में मदद करते हैं तो वह इस तरह से गाइड करते हैं की बच्चों को अंधेरे से अंधेरे समय में भी अच्छे से अच्छा सॉल्यूशन प्रोवाइड करने का काम करते हैं ये देखने वाली बात होती है कि जब टीचर अपने क्लास के बच्चों को पढ़ाने जाता है तो वह फुल ऑफ नॉलेज होता है फुल ऑफ हार्ड वर्किंग होता है अपनी बात को वह डिसिप्लिन के तहत बच्चों तक पहुंचाता है यह जरूर है कि हमें बच्चों को डिसिप्लिन में रखना है। उनकी गलतियों पर हमें डांटना है समझाना है और यह समझाया भी जा रहा है हमें भी थोड़ा बुरा लगता है पर यह डिसिप्लिन हमारी लाइफ का पार्ट बन जाता है और यही हमारी वैल्यूज को आगे बढ़ता है और वैल्यूज हमारी कैरेक्टर को डिफाइन करते हैं हम किस तरह की कैरेक्टर के व्यक्ति हैं। इसी के साथ मैं यह कहना चाहूंगी की सभी प्रिंसिपल, सभी टीचर्स, पेरेंट्स और बच्चों को अपने टीचर के पैशन, उनके कंपैशन को सलाम करना चाहिए इतनी मेहनत और इतनी कम समय में क्योंकि आजकल टीचिंग आवर्स बहुत कम हो चुके हैं तो इस स्थिति में भी टीचर बहुत पैशनेट होते हैं कंपैशनेट रहते हैं अपने कमिटमेंट को कंप्लीट करते हैं। अपनी तरफ से बच्चों को गाइड लाइन देते हैं हम चाहेंगे कि जैसे टीचर्स आपके बच्चे के लिए दिन-रात सोचते हैं मेहनत करते हैं ठीक वैसे ही आप भी अपने बच्चों के साथ मिलकर अपने टीचर्स की मेहनत में सहयोग करें।

2.   

 

बेसिक स्कूल सदरौना की अध्यापिका प्रीति दिवाकर कहती हैं कि जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया। बच्चों के स्कूल में शायद तुमसे मिली नहीं है दुनिया। और बच्चों के स्कूल की यह खूबसूरत दुनिया बिना एक शिक्षक के अकल्पनीय है क्योंकि एक शिक्षक ही है जो जिंदगी की किताब का हर्फ दर हफ और साफ़हा दर सफ़हा सबक सिखाता है ज्ञान अर्जित करने के नित्य नए साधन हमारे सामने आ रहे हैं जैसे गूगल, यु ट्यूब, और ए आई के टूल्स। कुछ लोगों का कहना है कि इन तकनीकी साधनों के चलते भविष्य में संभवत: शिक्षको की आवश्यकता ही नहीं होगी किंतु मेरा मानना है कि यह एक मिथक है। जैसे कंप्यूटर आने पर इसके विषय में कहा गया था कि यह मानव के रोजगार साधनों का अंत कर देगा किंतु यह बात निरर्थक ही सिद्ध हुई क्योंकि कंप्यूटर में एक नए प्रकार का रोजगार सृजन किया है जिसमें लाखों लोग नियुक्त किए गए हैं उसी तरह तमाम तरह के एआई टूल्स ज्ञान विज्ञान की नई संभावनाओं का निर्माण करते हैं किंतु मेरा मानना है कि शिक्षा मात्र तथ्यों का संकलन सूचनाओं का प्रकार ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है जिसमें संस्कार अनुशासन, और कभी न हारने वाली जिजीविषा का समावेश आवश्यक है और यह कलर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या ए आई टूल्स हमें नहीं सिखा सकता बल्कि मानवता के उच्चतम मूल्य एक शिक्षक ही अपने शिष्यों को सीखा सकता है इसलिए विज्ञान और तकनीकी में चाहे जितनी भी प्रगति हो जाए शिक्षक का महत्व कभी भी समाप्त नहीं होगा। मैं तो यही कहूंगी कि खान में दबे हीरे के पत्थर को जैसे-जैसे तराशा जाता है हीरे की कीमत बढ़ती जाती है। वैसे ही सुयोग्य संस्कारवान माता-पिता वह शिक्षकों की श्रृंखला समय-समय पर बच्चे को जैसे-जैसे तराशती है, कच्ची मिट्टी को जैसे-जैसे मनोनुकूल गढ़ने का प्रयास करते हैं, उसका कोई अन्य विकल्प नहीं है यह भी देखना होगा।

3.

स्काईलार्क वर्ल्ड स्कूल की उप प्रधानाचार्या सोनिया प्रभाकर का मानना है कि एक शिक्षक अनंत को प्रभावित करता है वह कभी नहीं जान सकता कि उसका प्रभाव कहां समाप्त होता है। हर वर्ष 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाते हैं एक ऐसा दिन जो उन मार्गदर्शकों को समर्पित है, जो केवल विद्यार्थियों का ही नहीं बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का भविष्य गढते हैं। एक शिक्षक होने के नाते यह दिन मेरे लिए गर्व और आत्म मंथन दोनों का अवसर है यह हमें हमारी जिम्मेदारियां की याद दिलाता है और उस आनंद की अनुभूति कराता है, जो अपने विद्यार्थियों को प्रगति करते देखने से मिलती है। इस अवसर पर मैं अपने उन शिक्षकों के प्रति कर्तव्यता व्यक्त करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे दिशा दी और आज भी मेरी प्रेरणा बने हुए हैं सच तो यह है कि शिक्षण एक दो तरफा यात्रा है। प्रत्येक विद्यार्थी भी अपने तरीके से शिक्षक को सीखाता है चाहे वह सहानुभूति हो, रचनात्मकता हो या फिर दुनिया को नए नजरिए से देखने की कला। इस शिक्षक दिवस पर आइये हम सभी फिर से यह संकल्प ले की शिक्षा को केवल ज्ञनार्जन तक सीमित न रखकर उसे जीवन संवारने का साधन बनाएं, क्योंकि हर बच्चे में छिपा है एक उज्जवल भविष्य, और शिक्षक ही उस भविष्य की राह को प्रकाशित करता है।

4.

भातखंडे यूनिवर्सिटी की गायन गुरु डॉक्टर कृतिका त्रिपाठी कहती है कि शिक्षक ज्ञान का भंडार है साथ ही सीखाने का आधार भी। कच्ची मिट्टी को पात्र का रूप देने का कार्य जिस तरह एक कुम्हार करता है, वही योगदान जीवन में शिक्षक का होता है यह एक शाश्वत सत्य है की जीवन को सजाने और संवारने में शिक्षकों का बहुत बड़ा महत्व होता है, चाहे कोई भी क्षेत्र हो। शिक्षक एक ऐसा दीपक होता है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशित करता है माता-पिता प्रथम गुरु होते ही है परंतु जीवन जीने की कला का असली ज्ञान हमें अपने गुरुओं से ही मिलता है। शिक्षक ही एक ऐसा माली होता है जो शिष्य रूपी फूलों को अलग-अलग तरीके से महकाने का काम करता है समाज में गुरुओं का अपने शिष्यों में अच्छे चरित्र निर्माण करने का उच्चतम योगदान होता है। हर हाल में हमें यह चाहिए कि गुरु शिष्य की परंपरा शिक्षक दिवस के रूप में निरंतर चलती रहे।

5.

राजकीय हाई स्कूल मस्तेमऊ गोसाईगंज की प्रधानाचार्या कुसुम वर्मा बताती है कि भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण करने वाले शिक्षकों के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की गुरु चाणक्य ने अपने शिष्य को शिक्षित दीक्षित करके देश की दशा- दिशा ही बदल दी थी। वह शिक्षक ही होता है जो बच्चे के मन रूपी ब्लैंक स्लेट पर अनजाने ही उसके भविष्य निर्माण का रास्ता और मंजिल अंकित कर देता है। वे ज्ञान विज्ञान की जानकारी देते हैं और जीवन तथा जगत में सामंजस्य स्थापित करना सिखाते हैं। बच्चा लंबे समय तक शिक्षक के सानिध्य में रहता है बच्चों का रुझान तथा विषयो पर उसकी पकड़ के अनुसार शिष्य का मार्गदर्शन कर उसे उन्नति की राह और उसकी मंजिल पर शिक्षक ही ले जाता है। सरल सहज और मनभावन शिक्षण पद्धति अपना कर आत्म शक्ति का बोथ कराता है। अंत में बस इतना ही कहूंगी कि गुरु बिन कैसे गुण आवे।

6.

बैंक अधिकारी एवं योग शिक्षक वंदना जुत्शी ने जीवन में शिक्षक के महत्व में इस प्रकार विवेचना की। संस्कृत में शिक्षक का अर्थ है गुरु जो दो शब्दों गु और रू से मिलकर बना है। गु का अर्थ है अंधकार और रू का अर्थ है प्रकाशित करना। अतः गुरु वह है जो अंधकार को दूर करता है। यह बात अधिकतर शिक्षकों पर लागू होती है। शिक्षक बच्चों के नन्हें मन को गढने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षक ही शिक्षार्थी के लिए उनके कैरियर को आकार देने, उन्हें देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनाने और जीवन के कठिन परिस्थितियों में जूझने में मदद करता है ताकि वह दुनिया का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत बन सके। देश के भावी संतानों और इस प्रकार देश के भविष्य को गढने में शिक्षक की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जो कोई भी हमको ज्ञान प्रदान करता है हमारे जीवन में हमारा मार्ग प्रकाशित करता है वही सच्चे अर्थों में हमारा शिक्षक है शिक्षक छात्रों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ता है। संक्षेप में, शिक्षक नन्हे मन के लिए ज्ञान, चरित्र और मूल्यों का प्रतीक है।

7.

सेठ स्वामी दयाल पब्लिक स्कूल फतेहपुर के प्रधानाचार्य रूपेंद्र कुमार का कहना है कि शिक्षक दिवस केवल एक उत्सव नहीं है बल्कि यह वह क्षण है जब हम उन महान व्यक्तित्वो को नमन करते हैं, जिन्होंने हमें ज्ञान, संस्कार और जीवन की दिशा दी। चाहे वह हमारे जीवन की पहली शिक्षिका मां हो, जीवन की कठिन राहों पर धैर्य और संघर्ष की सीख देने वाले पिताजी या विद्यालय के शिक्षक जो हमें विद्या प्रदान करते हैं और हमारे भविष्य की नींव बनाते हैं। यही कारण है कि कहा गया है- शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर भी दूसरों के जीवन को रोशन करता है। एक शिक्षक का कार्य केवल पाठ पढ़ना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानना और उसे निखारना होता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि सच्चा शिक्षक वही है जो विद्यार्थियों को सोचने और प्रश्न करने की स्वतंत्रता दे वास्तव में शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का साधन नहीं है बल्कि जीवन जीने की कला और स्वतंत्र चिंतन की प्रेरणा है अंततः हर शिक्षक का सपना यही होता है कि उसके शिष्य उससे भी आगे बढ़े और अपने जीवन से समाज को नई दिशा दे यही शिक्षक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

8.

लाला गणेश प्रसाद गर्ल्स इंटर कॉलेज की अध्यापिका रंजना घोष बताती है कि शिक्षक हमारे जीवन में रोशनी के समान प्रवेश करता है किस प्रकार हम जीवन का अध्याय शुरू करने वाले होते हैं इसी प्रकार शिक्षक हमें एक एक अध्याय ज्ञान के तौर पर देते हैं सीखाते हैं हमें और वही ज्ञान लेकर जीवन में आगे बढ़ते हैं पाठ हमें सिखाते हैं किस प्रकार जीवन में भी कौन सा विषय पढ़ना है। किस प्रकार जीवन में कौन से विषय लेकर आगे बढ़ाना है इस प्रकार शिक्षक हमारे जीवन का उद्देश्य होते हैं बिना शिक्षक के छात्र का जीवन कोरे पन्नों के समान होता है कोरे पन्नो का कोई अर्थ नहीं होता है हमें शिक्षक की दी गई ज्ञान को जीवन भर लेकर इस ज्ञान के साथ आगे बढ़ना चाहिए। अगर तुम्हें अंधकार पसंद नहीं तो दीपक जलाओ शिक्षा का दीपक ही समाज का भविष्य उज्जवल करता है।

9.

प्राथमिक विद्यालय खुर्रम नगर की सहायक अध्यापिका श्वेता श्रीवास्तव का कहना है कि जब हमारे जीवन में शिक्षक की बात आती है तो प्रथम गुरु मेरे माता-पिता ही होते हैं जो हमारे जीवन में उपयोगी तथ्यों को बताते हैं हमें अपने से बड़ों से कैसे व्यवहार करना है क्या नैतिकता बरतनी है क्योंकि जीवन जीना भी एक कला है जिसे जीवन जीना नहीं आया तो उसका मानव जीवन पाना ही व्यर्थ है गुरु ही एक ऐसा माध्यम होता है जो व्यक्ति को ज्ञान संस्कार और नैतिकता प्रदान करता है वह व्यक्ति के मानसिक विकास सामाजिक समझ और जीवन के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूकता लाने में सहायक होती है गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलने वाला शिष्य अपनी क्षमताओं को पहचानता है और समाज में एक सम्मानित स्थान प्राप्त करता है।

10.

संगीत के क्षेत्र में बच्चों को प्रशिक्षित कर रही सुनैना अग्रवाल बताती हैं कि जीवन में सबसे बड़ा शिक्षक माता-पिता ही होते हैं जीवन में शिक्षक का महत्व बहुत अधिक होता है क्योंकि वे केवल ज्ञान ही नहीं देते बल्कि छात्रों को प्रेरित भी करते हैं उनका मार्गदर्शन करते हैं और सही मूल्यों का संचार भी करते हैं शिक्षक एक छात्र के बौद्धिक भावनात्मक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे उन्हें एक कुशल नागरिक बनने में मदद मिलती है। शिक्षक प्रेरणा के स्तंभ होते हैं जो छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा में मार्गदर्शन करते हैं उनमें उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और ज्ञान का संचार करते रहते हैं सबसे बड़ी बात यह है की आपको जितने गुरु मिले आप बस सीखते जाइए जीवन में अगर आपके अंदर कुछ अलग सीखने की ललक है तो बस जीवन में एक ही गुरु होना जरूरी नहीं है।

इस पूरी परिचर्चा के सार में मैं यह समझ पा रहा हूं कि भारतीय सनातन परंपरा के आलोक में एकलव्य की गुरु भक्ति, अर्जुन द्वारा द्रोणाचार्य की शिक्षा को आत्मसात करना अविस्मरणीय है। इसका एक पहलू भी कहीं ना कहीं भारतीय मानस को हिला कर रख देता है जिसमें द्रोणाचार्य की राजपूत्रो को ही ज्ञान प्रदान करने की बाध्यता तो है ही साथ ही अश्वत्थामा सहित उनके परिवार के पालन में मां के द्वारा दूध के स्थान पर खडिया घोलकर पिलाने की मजबूरी कहीं ना कहीं आज भी दस्तक देती रहती है जो हमें इस अवसर पर शासन व जन सामान्य को विचार मंथन वह उचित क्रियान्वयन हेतु सत्ता एवं सामाजिक संरक्षण प्रदान किए जाने की तात्कालिक आवश्यकता की ओर संकेत करता है शिक्षक दिवस मनाने की यह एक बड़ी पृष्ठभूमि है जो संभवतः डॉ राधाकृष्णन के मानस पटल पर अंकित थी जिससे प्रभावित होकर शिक्षक दिवस मनाने का अनुरोध आज प्रासंगिक भी है और अनिवार्य भी।

प्रस्तुति-विवेक कुमार

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