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अमरीकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को लिखा पत्र, भारत पर लगे टैरिफ को वापस लेने का किया आग्रह

वाशिंगटन। अमरीकी कांग्रेस के 19 सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पत्र लिखकर उनसे भारत के साथ अमरीका के संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है। सदस्य डेबोरा रॉस और रो खन्ना के नेतृत्व में इन सांसदों ने हाल ही में बढ़ाये गये आयात शुल्क को भी वापस लेने का भी आह्वान किया, क्योंकि इससे दोनों देशों के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। सांसदों ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले से भारतीय निर्माताओं को नुकसान तो हुआ ही है और साथ ही अमरीकी आपूर्ति श्रृंखलाएं भी प्रभावित हुई हैं। इस फैसले से अमरीकी उपभोक्ताओं की जेब पर भी बोझ बढ़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन कार्रवाइयों ने दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी पर भी असर डाला है।

सांसदों ने कहा कि हम कांग्रेस के सदस्य होने के नाते उन जिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय-अमरीकी समुदाय के लोग रहते हैं और उनके भारत के साथ मजबूत पारिवारिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं। ट्रम्प प्रशासन की हालिया कार्रवाइयों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंधों पर असर डाला है। उन्होंने कहा, “हम आपसे इस महत्वपूर्ण साझेदारी को फिर से स्थापित करने और सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह करते हैं।”

पत्र में अमरीका-भारत संबंधों, विशेष रूप से व्यापार और रक्षा सहयोग के रणनीतिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसमें कहा गया कि भारत, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाये रखने में एक प्रमुख साझेदार है और अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के क्वाड जैसे पहलों के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सांसदों ने अपने पत्र में खास तौर पर अगस्त 2025 के उस फैसले का जिक्र किया जिसमें भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला लिया गया था। इसमें शुरुआती 25 प्रतिशत “पारस्परिक” टैरिफ और रूस से भारत की कच्चा तेल खरीद के जवाब में लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल था।

इसके अलावा पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के साथ व्यापारिक साझेदारी दोनों देशों में लाखों रोजगारों को बढ़ावा देती है। अमेरिकी निर्माता सेमीकंडक्टर, स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जरूरी चीजों के लिए भारत पर निर्भर हैं। साथ ही भारत में निवेश करने वाली अमरीकी कंपनियों को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजारों में से एक तक पहुंच मिलती है, जबकि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिससे रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा हुए हैं।

सांसदों ने चेतावनी दी कि टैरिफ में अंधाधुंध वृद्धि इन संबंधों को खतरे में डालती है, अमेरिकी परिवारों के लिए लागत बढ़ाती है, अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर करती है, और नवाचार एवं सहयोग के लिए खतरा पैदा करती है। उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि अमेरिकी व्यापारिक कार्रवाइयों ने भारत को चीन और रूस सहित अमरीकी हितों के विरोधी देशों के साथ अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। पत्र में कहा गया है कि भारत एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार बन गया है, अमेरिकी सेनाओं के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहा है और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए अमरीका और हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। क्वाड में इसकी भागीदारी और चीन की हठधर्मिता के प्रतिकार के रूप में इसकी भूमिका इस संबंध को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

पत्र का समापन दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को रेखांकित करते हुए किया गया। इसमें कहा गया कि अमेरिका और भारत की साझा लोकतांत्रिक परंपराएं, उन्हें अन्य सत्तावादी प्रतिस्पर्धियों से अलग करती हैं। हमारी साझेदारी दुनिया को दिखाती है कि सहयोग और आपसी सम्मान के जरिए स्वतंत्र और खुले समाज समृद्ध हो सकते हैं।

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