
वाशिंगटन। भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के खिलाफ अमरीकी सांसद लामबंद होने लगे हैं। अमरीकी संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस नेशनल एमरजेंसी घोषणा को पलटने की कोशिश की गई है, जिसके तहत भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया गया था। अमरीकी सांसदों ने तर्क दिया कि ये टैरिफ गैर-कानूनी, नुकसानदायक हैं और अमरीकी उपभोक्ता और कारोबारियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस प्रस्ताव को अमरीकी संसद में पेश किया गया है और इसे पेश करने वाले सांसदों के नाम डेबोरा रॉस, मार्क वेसी और राजा कृष्णमूर्ति हैं। इस प्रस्ताव को पेश करने का मकसद उस राष्ट्रीय आपातकालीन घोषणा को खत्म करना है, जिसके आधार पर भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए गए हैं। इन सांसदों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाए गए ये शुल्क न सिर्फ अवैध हैं, बल्कि अमरीकी उपभोक्ताओं और कारोबारियों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं और अमरीका-भारत के मजबूत आर्थिक रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अमरीकी संसद में जो प्रस्ताव पेश किया गया है, उसमें खास तौर पर 27 अगस्त, 2025 को भारत के ऊपर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत ‘सेकेंडरी टैरिफ’ के खिलाफ है, जिसे ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने की वजह से लगाए थे। अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम के तहत लगाए गए इन कदमों से कई भारतीय मूल के उत्पादों की आयात लागत अमरीका में अचानक काफी ज्यादा बहुत बढ़ गई। सांसदों का तर्क है कि इन टैरिफ का असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा खामियाजा अमरीकी कंपनियों, सप्लाई चेन और आम ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।







