ताजा खबरदिल्लीभारत

आपसी सहमति से तलाक के लिए एक साल तक अलग रहना जरूरी नहीं

नई दिल्ली। एक अहम फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया कि कोर्ट आपसी सहमति से तलाक के मामलों में एक साल तक अलग रहने की कानूनी शर्त को माफ कर सकते हैं। यह देखते हुए कि सभी रिश्तों को सुधारा नहीं जा सकता हाई कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कानूनी समय-सीमा, जिसमें कानून में दी गई छह महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि भी शामिल है, उसके आधार पर आपसी सहमति से तलाक को मशीनी तरीके से रोकने के लिए बाध्य नहीं हैं।

हाई कोर्ट ने आगे कहा कि शादी को जल्दबाजी में खत्म करने के खिलाफ किसी भी भावनात्मक तर्क को खत्म करने के लिए हम सिर्फ इतना कहेंगे कि शादी निश्चित रूप से एक पवित्र रिश्ता है, लेकिन जब पति-पत्नी आपसी सहमति से अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला करते हैं तो कानून को उनके फैसले की आजादी में दखल नहीं देना चाहिए। जस्टिस नवीन चावला नूप जे भंभानी और रेनू भटनागर की पूरी बेंच ने कहा कि चूंकि शादी अनिवार्य रूप से वयस्कों के बीच आजाद सहमति का नतीजा होनी चाहिए, इसलिए आपसी सहमति से तलाक में भी रुकावट नहीं डालनी चाहिए, जिससे अनिच्छुक पार्टियों को शादी की खुशी में नहीं, बल्कि शादी के दलदल में धकेल दिया जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *