दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका के दिवालिया होने के खतरे के बीच यूरोप से एक बड़ी खबर आई है। यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी मंदी में चली गई है। साल 2023 की पहली तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था ने निगेटिव ग्रोथ दर्ज की है। गुरुवार को जारी हुए तिमाही आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। साल की पहली तिमाही में जर्मन जीडीपी 0.3 फीसदी सिकुड़ गई। इससे पहले साल 2022 की चौथी तिमाही में जर्मन जीडीपी 0.5 फीसदी सिकुड़ी थी। जब लगातार दो तिमाहियों तक निगेटिव ग्रोथ दर्ज होती है, तो उसे मंदी माना जाता है।
महंगाई बनी हुई है बोझ
सांख्यिकी कार्यालय ने बताया कि साल की शुरुआत में महंगाई लगातार जर्मन इकॉनमी पर बोझ बनी हुई थी। यह घरेलू खपत में भी दिखाई पड़ती है। इसमें तिमाही दर तिमाही 1.2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। इसके विपरीत, 2022 की कमजोर दूसरी छमाही के बाद साल के पहले तीन महीनों में निवेश बढ़ा है। व्यापार में भी सकारात्मक योगदान मिला है।
भारत में रहेगी सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि इस वित्त वर्ष भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा कि भारत की मजबूत क्रेडिट डिमांड और क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट से इकॉनमी ग्रोथ करेगी। वहीं, गुरुवार को ब्लूमबर्ग के अनुमान के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि इकॉनमी ने मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में 7 फीसदी की दर से ग्रोथ की है। साथ ही भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित हो रही बड़ी इकॉनमी बना रहेगा।
7% से ज्यादा रही ग्रोथ तो कोई आश्चर्य नहीं
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा है कि सभी बड़े आर्थिक संकेत बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी से अधिक रहेगी। दास ने एक साल पहले शुरू हुई रेट हाइक साइकिल को भी डिफेंड किया। दास ने कहा कि अगर ग्रोथ रेट 7 फीसदी से अधिक रही तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा।