प्रेरक कहानी: 23 साल से रक्तदान… मरते-मरते आंखों का निशान, पढ़ें मुरादाबाद के गुरबिंदर सिंह की कहानी
यू तो रक्तदान और नेत्रदान दोनों ही बड़े नेक कार्य होते हैं। इन्हें दान करने के बाद जब किसी दूसरे की जान बचाई जाती है। तो दिल को एक अलग ही अंदाजा मिलता है। लोगों का भी बहुत प्यार मिलता है। लेकिन इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए और समाज में रक्तदान और नेत्रदान करने का कार्य मुरादाबाद के गुरबिंदर सिंह कर रहे हैं। उन्हें जनता का बहुत प्यार मिल रहा है। इसके साथ ही गुरबिंदर सिंह यह कार्य मुरादाबाद ही नहीं बल्कि उत्तरांचल दोनों जगह कर रहे हैं। जगह-जगह कैंप लगाने वाले लोग जागरूक होते हैं। इसके साथ ही मंदिर निश्चित रूप से पूरी मानवता का फर्ज दायर करता है।
गुरबिंदर सिंह ने बताया कि सीएल गुप्ता आई बैंक वेलफेयर सोसाइटी है। जिसके माध्यम से मैं 23 साल से आंखों के दान के लिए कार्य कर रहा हूं, जो लोग व्यवहार होते हैं कॉर्नियल ब्लाइंड होते हैं। कॉर्निया लगाने की सेवा करते हैं। उस काम में मैं लगा हूं। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश एवं उत्तरांचल में इस अभियान को हमने एक आंदोलन के रूप में चलाया है।
लाइव-लाइवदान जाता है- हो जाता नेत्रदान
इसके साथ ही हमारा एक सूत्र है लाइव लाइव रक्तदान हो जाता है नेत्रदान. वो लगभग आज पूरे भारत में फैल गया है। मैं जगह-जगह कैंपों को लोगों को सचेत करता हूं। अब तक 3500 से अधिक नेत्रदान हमारे माध्यम से हो चुके हैं। इसके अलावा मुझे लोगों का बहुत प्यार मिलता है और मुझे मुरादाबाद का गौरव पुरस्कार भी मिला है। इसके साथ ही बहुत सी ऐसी जगह है जहां से मुझे सम्मानित किया गया है। इससे और उत्साह मिलता है। और मेहनत और लगन से काम करने की प्रेरणा मिलती है।
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