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संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान बेनकाब, मानवाधिकार हनन को लेकर घिरा, बलूचिस्तान संकट पर भी जताई चिंता

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में एक बार फिर पाकिस्तान की पोल खुल गई। अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक विशेषज्ञ जोश बोवेस ने यूएनएचआरसी के 60वें सत्र की 34वीं बैठक में पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघनों और बलूचिस्तान में व्याप्त संकट पर गहरी चिंता जताई। जोश बोवेस ने मानवाधिकार उल्लंघनों और बलूचिस्तान में चल रहे संकट को लेकर पाकिस्तान को बुरी तरह से घेरा। उन्होंने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में यूएनएचआरसी के इसी सत्र की बैठक के दौरान पाकिस्तान के जीएसपी+ दर्जे को लेकर यूरोपीय संघ की टिप्पणियों पर अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं। बोवेस ने बलूचिस्तान के मुद्दों पर मानवाधिकारों की जवाबदेही मजबूत करने तथा समाधान के उपायों को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया। 60वें सत्र को संबोधित करते हुए बोवेस ने पाकिस्तान की वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 158वें स्थान पर होने की ओर इशारा किया। उन्होंने 2025 के लिए यूएससीआईआरएफ की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ईशनिंदा के आरोपों में 700 से ज्यादा लोग जेलों में बंद हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 300 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्शाता है।

बलूच समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग ‘पांक’ ने 2025 की पहली छमाही में ही 785 लोगों के जबरन गुमशुदगी और 121 हत्याओं का रिकॉर्ड तैयार किया है। वहीं, पश्तून नेशनल जिरगा के अनुसार, 2025 में 4,000 पश्तून अभी भी लापता हैं। अपने समापन वक्तव्य में बोवेस ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग से पाकिस्तान में मानवाधिकार स्थिति की निगरानी को सशक्त बनाने की मांग की। उन्होंने आयोग से अनुरोध किया कि वह मद 8 के अंतर्गत यूरोपीय संघ के साथ सहयोगी तंत्र विकसित कर पाकिस्तान में मानवाधिकारों की निगरानी मजबूत करने पर विचार करे।

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