
नई दिल्ली। दिल्ली बम धमाके को लेकर अब नए खुलासे हो रहे हैं। रिपोट्र्स के मुताबिक दिल्ली धमाका करने वाले आतंकियों का ग्रुप फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से संचालित हो रहा था। धमाकों की साजिश जनवरी से की जा रही थी। आतंकियों की 200 बमों (आईईडी) से 26/11 जैसे हमले की साजिश थी। आतंकियों ने दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद को निशाना बनाना था। हमले के लिए दिल्ली के लाल किला, इंडिया गेट, कंस्टिट्यून क्लब और गौरी शंकर मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों को चुना था। इनके अलावा देशभर के रेलवे स्टेशनों और बड़े मॉल्स भी टारगेट पर थे। सूत्रों के मुताबिक, यह साजिश जनवरी से ही चल रही थी। आतंकी मॉड्यूल का संबंध पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद संगठन से बताया जा रहा है। आतंकी पिछले कई महीनों से 200 बम (आईईडी) बनाने की तैयारी कर रहे थे। जांच एजेंसियों का कहना है कि आतंकियों का मकसद धार्मिक स्थलों पर हमला कर देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाना था। इसके लिए उन्होंने कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के कुछ डाक्टरों को चुना, ताकि वे बिना रोकटोक कहीं भी जा सकें। फरीदाबाद से गिरफ्तार लेडी टेररिस्ट डा. शाहीन शाहिद ने बताया है कि वह पिछले दो साल से विस्फोटक जमा कर रही थी।
शाहीन और उसके साथियों को मिलाकर एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल बनाया गया था। यानी इसमें पेशेवर लोगों को शामिल किया गया था। इसमें शामिल आतंकी जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद नाम के संगठनों जुड़े थे। उधर, केंद्र सरकार ने बुधवार शाम को आयोजित सुरक्षा समिति की बैठक में दिल्ली कार बम धमाके को आतंकी हमला माना है और सुरक्षा एजेंसियों को सभी दोषियों को जल्द से जल्द पकडऩे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि दिल्ली धमाके में जैश-ए-मोहम्मद के लिए कथित तौर पर काम करने वाले एक ‘डाक्टर आतंकी मॉड्यूल’ के सिलसिले में अब तक कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन को हिरासत में लिया गया है। ये गिरफ्तारियां जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की हैं और अब तक कुल 56 डाक्टरों से पूछताछ की जा चुकी है। हमले में मरने वालों की संख्या बढक़र 13 तक पहुंच गई है, जबकि अब भी 25 घायल एलएनजेपी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।








