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कश्मीर की सटीक तस्वीर देखकर जी20 देशों को पाकिस्तान का खुलासे का झूठ समझ लिया गया

जी-20 की बैठक को लेकर भारत ने यह दिखाया कि कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है और यह भारत का निगरानी अंग है। संकेता और अरुणाचल में ऐसा उजागर कर भारत ने यह भी संदेश दिया कि यह सभी क्षेत्र भारत का एक बड़ा हिस्सा हैं।

श्रीनगर में जी-20 के पर्यटन कार्यसमूह के तीन दिवसीय सम्मेलन से जम्मू-कश्मीर के लिए सुखद एवं लोकतांत्रिक स्वरूप, पर्यटन को नई दिशा मिलना एवं बॉलिवुड के साथ रिश्ते होने का मजबूत आधार हुआ है। पिछले 75 साल से जो हालात रहे, उन विदेशी ताकतों को भी हाथ लग रहा है, इसमें एक ही तरह का सामाजिक शोषण, आतंकवाद, अन्याय, पक्षपात एवं बंटवारे की व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दी जाने की तस्वीर सामने आ गई है। वैश्विक और प्राप्त पर्यटकों को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से सम्मेलन का कश्मीर में स्थान जम्मू-कश्मीर की 1.30 करोड़ की आबादी के लिए गौरव की बात है।

श्रीनगर में डीएल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में भारत सरकार ने जी-20 से जुड़े इस पहचान को भव्य एवं सुरक्षित पहुंच देने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। चीन एवं पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत ने अपने आंतरिक मामलों में किसी अन्य देश की आपत्तिजनक सहनशीलता से स्पष्ट इनकार करते हुए न केवल स्पष्टता का परिचय दिया बल्कि भारत की हर तरह से शक्ति संपन्न होने की भी सांकेतिक विरोधी शक्तियों को चेताया है। भारत ने पड़ोसी देशों की न सिर्फ अनदेखी की, बल्कि इन दोनों देशों को दो टूक जवाब भी दिया। ऐसा करना जरूरी था, क्योंकि भारत को अपने किसी भी भूभाग में हर तरह की स्थिति का अधिकार है- वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही क्यों न हों।

भारत न केवल आंतरिक मामलों में बल्कि दुनिया में अपनी स्वतंत्र पहचान को लेकर तैयार है। दिनों दिन शक्ति पूर्णता की ओर होते हुए चीन और पाकिस्तान को उसकी जमीन पर उतरते हुए भारत सफल रहा है। चीन की दोगली नीति एवं कुचेष्टों पर भारत ने करारा जाबाव दिया है। कश्मीर के मामले में चीन कई बार अपनी फजीहत पहले भी चुका चुका है। उसने पाकिस्तान की चिंताओं को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित करने की पहल में हर बार अड़ंगा लगाया, लेकिन कई मौकों पर उसे मुंह की खानी पड़ी। चीन अपने हरकतों से यही बता रहा है कि आतंकवाद के मामले में उसका बयान-करनी में अंतर है। यह अंतर दुनिया भी देख रही है, लेकिन चीन के सही रास्ते पर आने को तैयार नहीं है। अकेला पड़ा चीन अपनी ही चालों से गुजर रहा है, उसने अरुणाचल प्रदेश में भी जी-20 की एक बैठक का बहिष्कार किया था, लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग रहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावी नेतृत्व में भारत सरकार को अपना यह अडिग एवं एडवेंचर रवैया जारी रखते हुए चीन एवं पाकिस्तान को उसी की भाषा में प्रतिसाद देते रहना चाहिए। फिर भी श्रीनगर में जी-20 के पर्यटन कार्यसमूह की बैठक से चीन ने बाहर रहने का फैसला किया है। उसका साथ तुर्किए भी दे रहा है। जबकि तुर्किये एवं सऊदी अरब के पर्यटकों से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। एक-दो अन्य देश भी इस मीटिंग में शामिल होने से भले ही मना करें, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बैठक में 25 देशों के 60 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। रूस-यूक्रेन में युद्ध दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता है, समूची विश्व युद्ध-मुक्ति चाहते हैं। कुछ ऐसे चीन देश हैं जो इस सोच में बाधा बने हुए हैं। क्योंकि यह स्पष्ट है कि चीन के अधिकांश देशों को समझाना आवश्यक नहीं है। उनका यह फैसला चीन की फजीहत भी है और इस पर मुबारक भी कि जम्मू-कश्मीर से बंटवारे के लेखे 370 खत्म करने का भारत का फैसला सही था।

भारत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताकतों का निरंतर विश्व मंचों पर आभास होना सुखद संकेत है। यह बल इसलिए भी बढ़ रहा है कि दुनिया अब शांति चाहती है, आतंक एवं युद्ध-मुक्त दुनिया की संरचना उसकी इच्छा है। भारत अपनी शांति, मानवतादी सोच एवं हिंसा-युद्ध विरोधी शत्रु से सभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिस तरह विश्व समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है, उसे पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की भूमिका बढ़ रही है है एवं सुदृढ़ हो रही है। इसका एक प्रमाण अभी हाल में हिरोशिमा में जी-7 की बैठक में मिला और फिर पापुआ न्यू गिनी में भी दिखा। भारतीय प्रधानमंत्री जिस तरह जापानी मीडिया में छाए रहे, उसी तरह पापुआ न्यू गिनी और फिजी में भी। इन दोनों देशों ने मोदी को सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया। असल में इन दोनों देशों के बीच अंतर-स्तर के सर्वोच्च सम्मान से किसी अन्य देश के व्यक्ति को दुर्लभ माना जाना ऐतिहासिक घटना है।

इस बैठक का मकसद दुनिया को बिल्कुल सही तस्वीर दिखाना है। विदेशी राजनयिकों ने यह तस्वीर बहुत निकट से देखी है कि करार एवं आतंक की छाया से मुक्त हो रहा है और पाकिस्तान का यहां पर कोई प्रभाव नहीं है। घाटी का आवाम देश की मुख्यधारा में शामिल है और वह प्रशासन से मिलकर कश्मीर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब ज़मीनी स्तर पर मज़बूत लोकतंत्र हुआ है, नए उद्योग आ रहे हैं, व्यापक कृषि विकास वहाँ के इलाकों को समृद्ध बना रहा है, परतों का विकास तेज़ी से हो रहा है और प्रौद्योगिकी पर सरकार की योजनाओं से कश्मीर को एक डिजिटल समाज में बदला जा रहा है।

हालांकि, जी-20 बैठक के दौरान पाक अधिकृत संगठनों ने बड़ी खुफिया घटनाओं की योजना बनाई है, उनकी साजिशों की दृष्टिगत सुरक्षा के निश्चित निर्धारण किए गए हैं, लेकिन इतना तय है कि कश्मीर तेजी से बदल रहा है। निश्चित ही G-20 की इस स्थिति से कश्मीर का नया अभ्युदय होगा। विकास के विभिन्न संकेतों के आधार पर जम्मू-कश्मीर भारत के विकसित क्षेत्रों की पहचान करेंगे। इससे हास्पिटैलिटी क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर निवेश के प्रस्ताव आयेंगे। सरकार ने 300 नए पर्यटन स्थलों को विकास के लिए चिन्हित किया है। पर्यटन क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर में एक उद्योग का स्तर दिया गया है और इसे भी जम्मू-कश्मीर की औद्योगिक नीति के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है। भारत सरकार आमजन को सामाजिक और आर्थिक रूप से लापरवाह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन सब ध्येय को देखते हुए एवं जम्मू-कश्मीर से लेख-370 पते जाने के बाद ही पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है और चीन केवल पाकिस्तान को ही तुष्ट करना चाहता है। क्योंकि चीन के आर्थिक हित इससे जुड़े हुए हैं।

जी-20 की बैठक को लेकर भारत ने यह दिखाया कि कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है और यह भारत का निगरानी अंग है। संकेता और अरुणाचल में ऐसा उजागर कर रहा है कि भारत ने यह भी संदेश दिया है कि यह सभी क्षेत्र भारत का एजेंडा हिस्सा हैं और भारत की संप्रभुता के अंतर्गत आते हैं। यह भारतीय राजनयिक की जबर्दस्त सफलता के रूप में देखा जा रहा है कि जब भी कोई देश किसी अंतर्राष्ट्रीय समूह का प्रमुख होता है या ऐसे अंतर्राष्ट्रीय ढांचे की मेजबानी करता है तो स्थल का चयन उसकी विशेषाधिकार होता है। कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है। कभी यहां लगातार फिल्मों की शूटिंग होती थी और कश्मीर के पर्यटन स्थलों गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगांव, डीएल झील और अन्य स्थानों पर फिल्मी सितारों का जामघट लगा रहता था लेकिन पार्किंग आतंकवाद ने कश्मीर के विकास को लिया था, लेकिन मोदी सरकार ने इच्छा जताई थी अधिकार दिखाते हुए कश्मीर में और आतंक को दिखा रहा है। जनकल्याण के लिए समर्पित संकल्पों से नए कश्मीर को आकार दिया जा रहा है। विश्व की आर्थिक एवं राजनीतिक शक्तियों को संचालित करने वाले देश अगर ईमानदारी से स्थान ले तो विश्व से आतंकवाद पर खतरा पाया जा सकता है और कश्मीर की ही तरह दुनिया की तस्वीर बदली जा सकती है।

 

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