भोपाल। देश के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहुंओर असर का प्रभाव दिखाते हुए लगभग 18 वर्ष से राज्य में राज कर रही भारतीय जनता पार्टी का साथ इस बार भी नहीं छोड़ा और राज्य की कुल 230 में से 163 सीटें कमल निशान के नाम कर दीं, वहीं कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ आने वाले लोकसभा चुनाव के ऐन पहले हुए इन विधानसभा चुनावों में पार्टी को मात्र 66 सीटें ही दिला सके। चुनाव परिणामों में भाजपा ने लगभग दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर राज्य में इतिहास रच दिया।
इन परिणामों ने विधानसभा चुनाव 2023 में एंटी इंकम्बेंसी की अटकलों को जहां एक ओर पूरी तरह खारिज कर दिया, वहीं लोकसभा चुनावों के परिणामों का पूर्वानुमान भी लगवा दिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार भाजपा का वोट शेयर लगभग 49 फीसदी रहा है, वहीं कांग्रेस को लगभग 40 फीसदी वोट प्राप्त हुए हैं। इसके बाद भी पार्टी को राज्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। बहुजन समाज पार्टी का राज्य में वोट शेयर इस बार लगभग साढ़े तीन फीसदी रहा है, हालांकि पार्टी को इस बार एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। चुनावों से पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर सुर्खियों में बनी रही इंडिया गठबंधन की सदस्य समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत भी मात्र 0.46 फीसदी रहा और पार्टी को कोई सीट भी नहीं हासिल हुई। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत लगभग सभी दिग्गज अपनी-अपनी सीटों पर विजयी बन कर उभरे। श्री चौहान इस बार भी सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले प्रत्याशियों में शामिल रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मस्ताल शर्मा को लगभग एक लाख से अधिक मतों से हराया। भाजपा ने इस बार एक नई रणनीति के तहत राज्य में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से मात्र एक केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, निवास विधानसभा सीट से चुनाव में पराजित हुए हैं।