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अयोध्या में आज से शुरू हो जाएगी प्राण प्रतिष्ठा की पूजन विधि, 20 और 21 को रामलला के दर्शन बंद

 अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्यशाला में प्रेस कान्फ्रेंस करके प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के बारे में बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की पूजन विधि मंगलवार से शुरू हो जाएगी, जो 21 तक चलेगी। 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से एक बजे तक प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के भाषण होंगे। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त काशी के प्रकांड विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने तय किया है। प्राण प्रतिष्ठा का कर्मकांड वाराणसी के महंत लक्ष्मी कांत दीक्षित करेंगे। चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा का वजन 150 से 200 किलो है। रामलला की खड़ी प्रतिमा स्थापित होगी। 18 जनवरी को प्रतिमा गर्भगृह में अपने आसन पर खड़ी कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की तैयारियों के चलते 20 और 21 जनवरी को रामलला के दर्शन बंद किए गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा की पूजन विधि मंगलवार, 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जो 21 तक चलेगी। इससे पहले प्रतिमा की जल वास, अन्न वास, शैया वास, औषधि वास, फल वास पूजा होगी। चंपक राय ने बताया कि गर्भगृह में विराजने वाली प्रतिमा का चयन कर लिया गया है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित होगी।

मूर्ति बनाते वक्त वह 15-15 दिन परिवार से बात नहीं करते थे। बहुत परिश्रमी लडक़ा है। उसकी मेहनत का फल मिला। अरुण योगीराज ने नीले रंगे की रामलला की मूर्ति बनाई है। इसमें रामलला को खड़े हुए धनुष-बाण लिए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है, जो राजा के पुत्र की तरह और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फुल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब आठ फुट होगी। अभी फाइनल प्रतिमा की फोटो जारी नहीं की गई है। भारत की सभी मुख्य नदियों का जल अयोध्या आ चुका है। सभी जलों से रामलला का अभिषेक होगा। इसके अलावा नेपाल में राम जी की ससुराल, उनके ननिहाल छत्तीसगढ़ से उपहार आए हैं। जोधपुर से बैलगाड़ी पर घी आया है। 22 जनवरी को सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर होगा। उसके बाद अयोध्या में प्रभु की प्रसन्नता के लिए अयोध्या में दीप जलाए जाएंगे। भारत में जितने प्रकार के वाद्य यंत्र हैं, जैसे कि उत्तर प्रदेश की बांसुरी, ढोलक, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावण हत्था, बंगाल का श्री खोल इत्यादि सभी वाद्य यंत्र होंगे, जो पूजा के दौरान बजाए जाएंगे।

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