नई दिल्ली। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणेश पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने पर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष कार्यपालिका और न्यायपालिका के मुद्दे पर इस मीटिंग पर सवाल उठा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) और वरिष्ठ वकीलों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने कहा है कि इससे ज्यूडिशरी की निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़े होते हैं। राउत ने कहा कि जब संविधान के रक्षक इस तरह राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं, तो ज्यूडिशरी की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र सरकार से जुड़े मामले की सुनवाई, सीजेआई की अगवाई वाली बेंच कर रही है। ऐसे में यह मुलाकात न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालती है। सीजेआई को अब महाराष्ट्र से जुड़े मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए।
वकील प्रशांत भूषण ने इस मुलाकात को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की निजी मुलाकातें न्यायपालिका की निष्पक्षता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भूषण ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की दूरी बनी रहनी चाहिए। सीनियर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा जयसिंह ने भी इस मुलाकात की निंदा की है। उधर, अब भाजपा ने भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जुड़े एक कार्यक्रम की तस्वीर साझा की है, जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्ण ने शिरकत की थी। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने लिखा कि साल 2009 में पीएम मनमोहन की इफ्तार पार्टी में तत्कालीन सीजेआई बालकृष्णन शामिल हुए थे। ये सेक्युलर है, न्यायपालिका सुरक्षित है। पीएम मोदी सीजेआई के घर पर गणेश पूजा में शामिल हुए, तो न्यायपालिका भ्रष्ट है।