
सिलीगुड़ी। भारत की नेपाल और भूटान से सटी सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ कर दो तस्करों को गिरफ्तार किया और उनके पास से सात नेपाली लड़कियों को छुड़ाया। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि इनमें से ज़्यादातर 20 साल की उम्र के आसपास की हैं, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल है। इन लड़कियों को हांगकांग ले जाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर एसएसबी के जवानों ने शुक्रवार शाम भारत-नेपाल सीमा पर पानीटंकी इलाके में जाल बिछाया। थोड़ी देर पीछा करने के बाद एक वाहन को रोका गया और नेपाल निवासी जापान गुरुंग उर्फ दादा और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के दीपेश गुरुंग को गिरफ्तार किया गया। वाहन से एक नाबालिग सहित सात लड़कियों को उनके चंगुल से छुडाया गया।
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि लड़कियों को नेपाल के संखुवासभा जिले के उनके गांवों से हांगकांग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनके माता-पिता की सहमति से बहला-फुसलाकर लाया गया था। उन्हें कुछ महीनों के लिए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में रखा गया जहां उनकी विदेश यात्रा के लिए आधार कार्ड और पासपोर्ट जैसे जाली भारतीय पहचान पत्र तैयार किए गए। मानव तस्करों के चंगुल से छुडाई गई सभी लड़कियां कथित तौर पर नेपाल के एक ही जिले की हैं। दोनों आरोपियों से पूछताछ में तस्करी के नेटवर्क के तौर-तरीकों का खुलासा हुआ। तस्कर आमतौर पर गरीब और मासूम गाँव की लड़कियों को विदेश में आकर्षक नौकरी दिलाने का झूठा वादा करके उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके बाद लड़कियों को भारत लाया जाता है जहां तस्कर जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट तैयार करते हैं। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद, लड़कियों को हांगकांग सहित विदेशों में भेज दिया जाता है। एक जांच अधिकारी ने खुलासा किया, “पूरी प्रक्रिया के लिए तस्कर प्रत्येक लड़की से लगभग तीन लाख लेते हैं। मौजूदा मामले में सभी सात लड़कियों को हांगकांग ले जाने से पहले भारतीय पहचान पत्र बनवाने के लिए सिलीगुड़ी लाया गया था।”
उन्होंने बताया कि आरोपी जापान गुरुंग ने कथित तौर पर लड़कियों के माता-पिता से हांगकांग में उनकी बेटियों के बेहतर भविष्य का वादा किया था। उसने प्रत्येक परिवार से एक लाख नेपाली रुपये की अग्रिम राशि ली थी। गुरुंग ने पहले भी कई मौकों पर लड़कियों की तस्करी करने की बात स्वीकार की और दावा किया कि हांगकांग में रहने वाला उसका बेटा विदेश में रसद का समन्वय करता है।
एसएसबी ने कहा, “उसके मोबाइल फोन से कई लड़कियों की तस्वीरें, वीडियो और नकली दस्तावेज़ मिले हैं।” गुरुंग के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह पानीटंकी के रतन बर्मन के संपर्क में है, जो फर्जी पहचान पत्र तैयार करने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि दार्जिलिंग निवासी दीपेश गुरुंग पिछले दो-तीन सालों से जापान गुरुंग के साथ काम कर रहा था। उसकी भूमिका सीमावर्ती इलाकों से लड़कियों को इकट्ठा करना और उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए सिलीगुड़ी पहुंचाना था। अधिकारियों ने बताया, “दीपेश और जापान एक-दूसरे के संपर्क में थे। दीपेश ने पुष्टि की है कि जापान पहले भी कई नेपाली लड़कियों की तस्करी दिल्ली, असम और भारत के अन्य हिस्सों में कर चुका है।”
उन्होंने बताया कि गरीब परिवार से तालुक रखने वाली लड़कियों और महिलाओं, नाबालिगों और वयस्कों, दोनों को गरीब ग्रामीण इलाकों में निशाना बनाया जाता है और विदेश में नौकरी के झूठे प्रस्तावों का झांसा दिया जाता है। एसएसबी के अधिकारियों ने कहा, “गुरुंग के मोबाइल फोन से कई लड़कियों की तस्वीरें, वीडियो और जाली दस्तावेज़ बरामद किए गए हैं।” गुरुंग कथित तौर पर पानीटंकी के रतन बर्मन से भी जुड़ा है, जो ज़रूरी पहचान दस्तावेज़ बनाने में मदद करता है। एक अन्य आरोपी, दार्जिलिंग का ड्राइवर दीपेश गुरुंग, कथित तौर पर पिछले दो-तीन सालों से जापान गुरुंग के साथ मिलकर काम कर रहा है। उसकी भूमिका भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र से लड़कियों को इकट्ठा करने और उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए सिलीगुड़ी पहुंचाने में थी।