नई दिल्ली। बंगलुरू में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के खुदकुशी मामले में चार लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है। अतुल के भाई बिकास कुमार ने बंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी। इसी के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब दो या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) का केस दर्ज किया है। अतुल ने 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने अपनी आपबीती बताई। अतुल ने यह भी मांग की थी कि अगर उन्हें प्रताडि़त करने वाले बरी हो जाएं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं।
कमरे में लटकी तख्ती पर लिखा था, अभी न्याय बाकी है
अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है कि जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। अतुल ने यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था और इस पर उक्त जज हंस पड़ी थीं। मूल रूप से बिहार के अतुल सुभाष का शव बंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।
लेटर में राष्ट्रपति के नाम भी लिखा नोट
अतुल सुभाष ने 24 पेज के लेटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। एक अन्य नोट में उन्होंने लिखा कि वह अपनी पत्नी की तरफ से दायर कराए गए सभी मामलों के लिए खुद को निर्दोष बता रहे हैं। इनमें दहेज और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस शामिल है।